विशेषज्ञों के अनुसार हिप-नी रिप्लेसमेंट का पैकेज निजी अस्पतालों के लिए भी लागू करना चाहिए, जिससे मरीजों को राहत मिल सके। दरअसल पुराने वेंडर आयुष्मान के रेट पर इंप्लांट सप्लाई भी नहीं करना चाहते। उनका तर्क है कि इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
राजधानी समेत प्रदेश के मरीजों को हिप एंड नी (कूल्हे व घुटने) रिप्लेसमेंट कराने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। निजी अस्पतालों में आयुष्मान पैकेज के तहत दोनों सर्जरी कैशलेस नहीं होती। इसलिए मरीजों को डेढ़ से दो लाख रुपए खर्च करना पड़ रहा है। जबकि एकमात्र आंबेडकर अस्पताल में पिछले 13 महीने से हिप-नी रिप्लेसमेंट बंद है। इसकी मुख्य वजह सर्जरी के लिए जरूरी इंप्लांट का सप्लाई न होना है। इसका टेंडर भी अब तक फाइनल नहीं हो सका है।
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के पैकेज में केवल सरकारी अस्पतालों के लिए है। 2019 से निजी अस्पतालों से इस पैकेज को बाहर कर दिया गया है। यानी मरीज फ्री में इलाज केवल सरकारी अस्पताल में करवा सकता है। प्रदेश में केवल आंबेडकर अस्पताल में ये सर्जरी होती है। सिम्स बिलासपुर या जगदलपुर में ये सर्जरी बिल्कुल नहीं हो रही है। बाकी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी ये रिप्लेसमेंट नहीं होता। राजधानी में आंबेडकर के अलावा 4 बड़े निजी अस्पतालों में ये सर्जरी हो रही है। इसके लिए मरीजों को नकद इलाज कराना पड़ रहा है। यही उन्हें भारी पड़ रहा है। जरूरतमंद व गरीब मरीज उधार लेकर भी ये ऑपरेशन करवा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हिप-नी रिप्लेसमेंट का पैकेज निजी अस्पतालों के लिए भी लागू करना चाहिए, जिससे मरीजों को राहत मिल सके। दरअसल पुराने वेंडर आयुष्मान के रेट पर इंप्लांट सप्लाई भी नहीं करना चाहते। उनका तर्क है कि इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
आंबेडकर अस्पताल के ऑर्थोपीडिक विभाग में हर माह करीब 4 हिप-नी रिप्लेसमेंट सर्जरी हो रही थी, जो अब पूरी तरह ठप है। 13 माह में 52 रिप्लेसमेंट टल चुका है। मरीज अभी भी अस्पताल के चक्कर लगाते देखे जा सकते हैं। डॉक्टरों के पास मरीजों को रिप्लेसमेंट नहीं होने की बात कहना मजबूरी है। वे कहते हैं, जब होगा तो बता दिया जाएगा। मोबाइल नंबर छोड़कर चले जाइए। कुछ निजी अस्पताल में नी रिप्लेसमेंट रोबोटिक हो रहा है। यह एडवांस सर्जरी है, जिसमें मरीज दो से तीन दिनों में खुद से चलने लगता है।
कोरोनाकाल के बाद हिप रिप्लेसमेंट के केस बढ़े हैं। डॉक्टर इसकी बड़ी वजह शराब को भी बता रहे हैं। नियमित शराब पीने से 30 से 35 साल के व्यक्तियों को हिप रिप्लेसमेंट कराना पड़ रहा है। अल्कोहल हिप की जोड़ को खराब करता है। यही कारण है कि लंबे समय तक शराब पीने वालों के पास हिप रिप्लेसमेंट के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। केस बढ़ना चौंकाने वाला भी है। पहले हिप एंड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी उम्रदराज लोगों की जाती थी या सड़क दुर्घटना या सिकलसेल जैसी जेनेटिक बीमारी वाले मरीजों के लिए ये जरूरत पड़ती थी। सड़क दुर्घटना में हिप की हड्डी फ्रैक्चर हो जाती है। इस कारण भी हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है।