CG News: न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी में चेहरे की एक नस अचानक ऐसा दर्द देती है, जैसे बिजली के झटके हो। यह कुछ सेकंड से कुछ मिनट तक बार-बार आ सकते हैं।
CG News: ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें चेहरे पर बिजली जैसे झटके महसूस होते हैं और असहनीय दर्द होता है। मरीज दर्द से बिलबिला उठता है। डीकेएस के न्यूरोलॉजी विभाग में हर माह 4 और निजी अस्पतालों में 6 समेत हर माह 10 केस आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुछ मामलों में ब्रेन की सर्जरी की जरूरत पड़ती है। यह बीमारी कई मरीजों को डिप्रेशन तक में ले जाता है। यहां तक मरीज सुसाइड तक कर लेते हैं।
शुरुआती अवस्था में जांच और दवाओं से बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी में चेहरे की एक नस अचानक ऐसा दर्द देती है, जैसे बिजली के झटके हो। यह कुछ सेकंड से कुछ मिनट तक बार-बार आ सकते हैं। 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे है। इस मौके पर पत्रिका ने दर्द देनी वाली ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी की पड़ताल की। दवा से ठीक न होने पर इस बीमारी में ब्रेन की सर्जरी की जाती है।
अब युवा भी इस बीमारी की गिरफ्त में
असहनीय दर्द के कारण न केवल भारत में बल्कि दुनिया में कई मरीजों ने सुसाइड तक किया है। दूसरे शब्दों में इस बीमारी को सुसाइड डिसीज भी कहा जाता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सीएम सिंह के अनुसार पहले यह बीमारी उम्रदराज महिलाओं को होती थी, लेकिन अब युवा भी इस बीमारी की गिरफ्त में आने लगे हैं। जब दवा काम नहीं करतीं तब जीवन पूरी तरह तहस-नहस हो जाता है, तब माइक्रोवैस्कुलर डीकंप्रेशन सर्जरी की सलाह दी जाती है। इसमें उस नस पर दबाव बना रही रक्तवाहिनी को हटाया जाता है। यह ब्रेन की सर्जरी होती है।
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी में दर्द से राहत देने में रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन (आरएफए) तकनीक काफी कारगर है। आंबेडकर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में यह मशीन लगी है। वहीं एनीस्थीसिया व कैंसर विभाग में पेन मैनेजमेंट के तहत मरीजों का दर्द दूर किया जा रहा है। आरएफए से दर्द पैदा करने वाली नर्व को विशेष सुई के जरिए रेडियो तरंगों से जलाकर निष्क्रिय किया जाता है। क्रिटिकल केयर व पेन मैनेजमेंट विशेषज्ञों के अनुसार मरीज को इससे बड़ी राहत मिलती है। डॉक्टरों के अनुसार रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन से मरीजों को तत्काल राहत मिलती है।
लोग खाना तक छोड़ देते और डिप्रेशन में चले जाते
हैंडीकेएस के न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. राजीव साहू व न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अभिजीत कोहट के अनुसार चेहरे में 3 मुख्य नसें होती हैं, जो जबड़े, गाल, आंख, नाक व माथे तक फैली होती हैं। जब किसी एक पर ब्लड वेसल का दबाव, स्ट्रक्बरल बदलाव या नर्व की परत (मायलिन शील्ड) का क्षरण हो जाता है तो ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया होता है। इसका दर्द मरीज को मानसिक रूप से तोड़ देता है। लोग खाना छोड़ देते हैं, बात नहीं करते, डिप्रेशन में चले जाते हैं। शुरुआती अवस्था में एंटी-कन्वल्सेंट दवाओं से दर्द को काबू किया जा सकता है।
बीमारी के लक्षण इस तरह
चेहरे के एक तरफ अचानक बिजली के झटके जैसा अहसास व असहनीय दर्द।
खाना चबाने, ब्रश करने, बोलने या चेहरे में हवा लगने पर बेहद दर्द होता है।
कुछ सेकंड से लेकर 2-3 मिनट तक दर्द रह सकता है।