राजनंदगांव

छत्तीसगढ़ के इस जिले में महफूज नहीं बहन-बेटियां, महिला अपराध के बढ़े मामले, क्राइम के आंकड़े देख फटी रह जाएंगी आंखें…

Patrika Mahila Suraksha: राजनांदगांव जिले में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध समाज के लिए चिंता का विषय है। पिछले एक साल जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक जिले में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की बात की जाए तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

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Patrika Mahila Suraksha: राजनांदगांव जिले में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध समाज के लिए चिंता का विषय है। पिछले एक साल जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक जिले में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की बात की जाए तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इसमें शासन-प्रशासन और न्यायपालिका को गंभीरता से पहल करने की जरूरत है।

पिछले एक साल की बात की जाए तो 12 महीनों में 76 महिलाओं से बलात्कार के केस थानों में दर्ज हुए। वहीं छेड़छाड़ के 43 मामले हुए। दहेज प्रताड़ना के 12 जुर्म दर्ज किए गए हैं, तो वहीं 5 महिलाओं को तो मौत के घाट उतार दिया गया। दो महिलाओं से लूट की घटना हुई, तो वहीं मारपीट और अन्य महिला संबंधी अपराध के 386 एफआईआर थानों में दर्ज किए गए। इस तरह 12 महीने में महिलाओं के खिलाफ 524 अपराध दर्ज किए गए हैं।

इनमें से कुछ में दोषियों को सजा मिली, तो ज्यादातर विचाराधीन है, कुछ मामलों में आरोपियों को गवाह के अभाव सहित अन्य कानूनी गाइड लाइन के चलते सजा ही नहीं मिल पाई। इसके चलते भी अपराधियों के हौसले बुलंद है। ये आंकड़े पुलिस थानों में दर्ज हैं, लेकिन कई मामले तो थानों तक पहुंचते ही नहीं हैं।

25 फीसदी केसेस में महिलाएं भी दोषी

एक्सपर्ट मानते हैं कि पारिवारिक विवाद और घरेलू हिंसा के मामलों में 25 फीसदी महिलाएं भी दोषी होती हैं। कुई महिलाएं शुरू से पारिवारिक बंधन में रहना पसंद नहीं करती। ससुराल के एनवारमेंट में खुद को ढाल नहीं पाती, इससे भी पारिवारिक कलह या विवाद उत्पन्न होता है।

सोशल मीडिया भी बड़ी वजह

आज आम जीवन में मोबाइल की खास जगह है। मोबाइल में सोशल मीडिया भी बढ़ते अपराध के लिए बहुत बड़ी वजह है। मीडिया में जागरूक होने के लिए जानकारी दी जाती है, लेकिन लोग वहां से उसी अपराध को करने के लिए आइडिया ले लेते हैं।

क्राइम की यह हैै स्थिति…

महिलाओं से जुडे़ अपराध
दुष्कर्म - 76
छेड़छाड़ - 43
दहेज प्रताड़ना - 12
हत्या - 05
लूट - 02
मारपीट व अन्य - 386
कुल - 524

कानूनी सख्ती जरूरी…

महिलाओं से जुड़े अपराधों में और सख्त कानून बनाने की भी जरूरत है। जब महिलाओं से जुड़े छोटे-बड़े किसी भी मामले में सजा होगी। तभी असामाजिक तत्व के लोगों में कानून के प्रति खौफ रहेगा। महिलाओं से जुड़े अपराध में कई गाइडलाइन ऐसे निर्धारित हैं, जिसमें आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। ऐसे केसों में अपराधी आसानी से बच जाते हैं और फिर गवाह से लेकर कई तकनीकी पेंच का उपयोग करते हुए वे निर्दोश भी साबित हो जाते हैं। ऐसे मामलों में पीड़िता या प्रार्थिया की नजर में पुलिस वाले दोषी हो जाते हैं। महिला संबंधी अपराध में कमी लाने के लिए स्कूल से लेकर सामाजिक स्तर पर भी पहल करने की जरूरत है।

Published on:
25 Feb 2025 12:01 pm
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