राजस्थान सरकार द्वारा मार्बल पर अप्रत्याशित रूप से 25% रॉयल्टी बढ़ाने के निर्णय ने जिले के मार्बल उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है।
राजसमंद. राजस्थान सरकार द्वारा मार्बल पर अप्रत्याशित रूप से 25% रॉयल्टी बढ़ाने के निर्णय ने जिले के मार्बल उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है। इस मुद्दे को लेकर गुरुवार को मार्बल ट्रेडर्स एसोसिएशन राजसमंद की एक महत्वपूर्ण बैठक मार्बल मार्केट मोरचना में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता गोविंद सनाढय ने की, जबकि संचालन महामंत्री सुशील बडाला ने किया।
बैठक में बताया गया कि 23 जुलाई 2025 को जारी सरकारी नोटिफिकेशन के बाद से ही स्थिति गंभीर हो गई है।
अध्यक्ष गोविंद सनाढय ने कहा कि पिछले 4–5 सालों से मार्बल व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में सरकार को जीएसटी और रॉयल्टी कम करनी चाहिए थी, लेकिन इसके विपरीत रॉयल्टी और बढ़ा दी। उन्होंने सवाल उठाया कि राजसमंद में निकलने वाले ग्रेनाइट पर रॉयल्टी केवल 10 रुपए प्रति टन बढ़ाई गई, जबकि मार्बल पर 80 रुपए प्रति टन। आखिर यह दोहरा मापदंड क्यों? मार्बल व्यवसाय पर ही यह कुठाराघात क्यों? साथ ही उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सरकार ने हाल ही में रॉयल्टी का ठेका पूर्व दर से कम राशि पर दिया, यानी सरकार को खुद मालूम है कि उद्योग मंदी में है। तो फिर सरकार पुराने से भी कम दर पर रॉयल्टी रिवाइज क्यों नहीं कर सकती?
राजसमंद ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष श्यामसुंदर काबरा, गुजरात-महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष महेन्द्र सिंह कल्लाखेड़ीमिनी ट्रक एसोसिएशन अध्यक्ष जगदीश पालीवाल ने घोषणा की कि जब तक बढ़ी हुई रॉयल्टी पूरी तरह वापस नहीं ली जाती, कोई भी गाड़ी मार्बल परिवहन में शामिल नहीं होगी।बैठक में गूंजा रोषबैठक को गोविंद सनाढय, सत्यदेव सिंह चारण, सुशील बडाला, राजकुमार रांका, जगदीश पालीवाल, श्यामसुंदर काबरा और श्रमिक संगठन के नेताओं ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही राहत नहीं दी गई तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। बैठक में सैकड़ों ट्रेडर्स, सप्लायर्स, ट्रांसपोर्टर्स और श्रमिक उपस्थित रहे।