सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित कर प्रति बूंद अधिक फसल प्राप्त करने के लिए फव्वारा संयंत्र, मिनि स्प्रिंकलर और ड्रिप संयंत्र लगाए गए, लेकिन तीन साल बाद भी किसानों को अनुदान नहीं मिला।
राजसमंद. पानी की बूंद-बूंद का सद्उपयोग करने के लिए किसानों को नवीन तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसान उन्हें अपना भी रहे हैं, लेकिन तीन-तीन साल तक सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाने वाला अनुदान नहीं मिलने के कारण काश्तकार निराश, हताश और परेशान हो रहे हैं। विभाग की ओर से इसके लिए मुख्यालय को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक काश्तकारों को अनुदान की राशि नहीं मिल रही है। भारत सरकार की प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी-एमआई) योजना के तहत काश्तकारों को कम पानी में अधिक फसल लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके तहत फव्वारा संयंत्र, मिनि स्प्रिंकलर और ड्रिप संयंत्र पर केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। उद्यान विभाग के अधिकारियों ने काश्तकारों को प्रेरित करके खेतों में फव्वारा संयंत्र और ड्रिप संयंत्र आदि तो लगवा दिए। उक्त योजना में 75 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। जानकारों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से 40 प्रतिशत और केन्द्र सरकार की ओर से 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इसके तहत राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाला अनुदान काश्तकारों को मिल चुका है, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर उपलब्ध कराया जाना वाला अनुदान अभी तक नहीं मिला है। इसके कारण काश्तकार अनुदान के लिए उद्यान विभाग के चक्कर काट रहे हैं। वहां पर संतोषजनक जबाव नहीं मिल रहा है। इसके कारण योजना से भी किसानों का मोहभंग होने लगा है।
विभागीय जानकारों के अनुसार फव्वारा संयंत्र के अनुदान के भुगतान के लिए 55.5 लाख का बजट मांगा गया है। इसमें 2023-24 में 46.80 और 2024-25 का 8.70 लाख रुपए हैं। इसी प्रकार मिनि स्प्रिंकलर का 2022-23 का 1.25 और 2.56 लाख रुपए बकाया चल रहा है। ड्रिप संयंत्र के लिए 2022-23 में 7.17 लाख, 2023-24 के लिए 76.11 और 2024-25 के लिए 10.75 लाख रुपए का अनुदान शेष चल रहा है। इसके लिए उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक भीलवाड़ा को पत्र लिखकर बजट की मांग की गई है।
ड्रिप सिंचाई : इससे 50 से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है। पानी को कम दबाव वितरण प्रणाली से बार-बार छोड़ा जाता है, जिसमें छोटे व्यास के प्लास्टिक पाइप लगे होते हैं, जिन्हें एमिटर या ड्रिपर्स कहा जाता है, जो पौधे के पास सीधे भूमि की सतह पर पहुंचते हैं। यह बागवानी फसलों के लिए उपयोगी होती हैं।
स्प्रिंकलर सिंचाई : पाइप और स्प्रिंकलर के एक नेटवर्क से बनी होती है। पाइप पानी को उचित दबाव पर सभी ऑपरेटिंग स्प्रिंकलर को इसकी आपूर्ति करते हैं। पानी एक जेट के रूप में नोजल से बाहर निकलता है जो जमीन पर गिरने वाली पानी की बूंदों और बढ़ते पौधों की पत्तियों जैसे बारिश की बूंदों के रूप में गिरता है।
जिले में प्रति बूंद अधिक फसल योजना के तहत फव्वारा संयंत्र, मिनि स्प्रिंकलर और ड्रीप संयंत्र पर दिए जाने वाले अनुदान के लिए बजट की मांग की है। इसके लिए पत्र भी लिखा गया है। जल्द बजट जारी होने की उम्मीद है।