राजसमंद

अब सिर्फ होंगी गाय की बछड़ियां और भैंस की पाड़ियां, दूध उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी की उम्मीद

जिले के पशुपालकों के लिए एक बड़ी सौगात लेकर आया है पशुपालन विभाग। अब कृत्रिम गर्भाधान के जरिए सिर्फ मादा बछड़ों (बछड़ी व पाड़ी) का जन्म होगा

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pashupalan News

राजसमंद. जिले के पशुपालकों के लिए एक बड़ी सौगात लेकर आया है पशुपालन विभाग। अब कृत्रिम गर्भाधान के जरिए सिर्फ मादा बछड़ों (बछड़ी व पाड़ी) का जन्म होगा, जिससे न केवल दूध उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी बल्कि पशुओं की नस्ल में भी उल्लेखनीय सुधार देखा जाएगा। इस प्रयास से आवारा नंदियों की समस्या भी कम होगी, जो आए दिन सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

1150 डोज मिली: अब तक 50 का इस्तेमाल

राजसमंद जिले को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेक्स सॉर्टेड सीमन योजना के तहत कुल 1150 डोज प्राप्त हुए हैं। इनमें गिर नस्ल की गाय के 500, मुर्रा भैंस के 200, साइवाल नस्ल के 200, एचएफ के 150 और जर्सी गाय के 100 डोज शामिल हैं। अब तक 50 से अधिक पशुओं में इसका उपयोग कर कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है।

क्या है ये योजना?

यह योजना पशुपालन विभाग द्वारा उन पशुपालकों के लिए शुरू की गई है, जो दूध उत्पादन और पशु नस्ल सुधार में रुचि रखते हैं। सेक्स सॉर्टेड सीमन का उपयोग करने से 90 प्रतिशत से अधिक संभावना होती है कि केवल मादा बछड़ा ही जन्म ले। इसका सीधा असर दूध उत्पादन, आर्थिक लाभ और आवारा नंदी की संख्या पर पड़ता है।

गायों की नस्ल सुधरेगी, दूध उत्पादन में होगी बढ़ोतरी

सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक से जन्मी बछड़ियां दो साल में दूध देना शुरू कर देती हैं। इस प्रक्रिया से पशुपालकों को दोहरे लाभ मिलते हैं —

  • बेहतर नस्ल की मादा पशु
  • 10-15 प्रतिशत तक दूध उत्पादन में बढ़ोतरी

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक से पैदा होने वाली मादा बछड़ियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और उनकी प्रजनन क्षमता भी अच्छी होती है।

आवारा नंदियों से राहत: सड़क दुर्घटनाओं में आएगी कमी

परंपरागत गर्भाधान पद्धति से पैदा होने वाले नंदी अक्सर बाद में बेकार समझकर खुले छोड़ दिए जाते हैं। ऐसे नंदी या तो शहर-गांवों में पॉलिथीन खाकर बीमार हो जाते हैं या फिर सड़कों पर घूमते हुए दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक से अधिकतर मादा जन्मेंगी जिससे नंदियों की संख्या में स्वतः गिरावट आएगी।

पशुपालकों के लिए किफायती विकल्प

सरकार की ओर से इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है:

  • कृषक पशुपालकों के लिए प्रति डोज 70 रुपए
  • सामान्य पशुपालकों के लिए प्रति डोज 50 रुपए

ब्लॉक स्तर पर इन डोज़ की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है ताकि गांवों के पशुपालक भी इसका लाभ उठा सकें।

पशुपालन और कृषि एक-दूसरे के पूरक

किसान और पशुपालक का संबंध आपस में जुड़ा हुआ है। एक अच्छा पशुपालक बेहतर किसान बन सकता है और इसके उलट भी। जब पशुपालक आर्थिक रूप से मजबूत होगा, तभी वह खेती-किसानी में भी नई तकनीकें अपना सकेगा। इस सोच को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सेक्स सॉर्टेड सीमन योजना को प्राथमिकता दी है।

फैक्ट फाइल (2019 की पशुगणना पर आधारित):

  • जिले में कुल पशु 10.87 लाख
  • गौवंश व भैंसवंश 4.79 लाख
  • बकरी-बकरा 5.50 लाख
  • दूध उत्पादन में संभावित वृद्धि 10-15%

सीमन तकनीक के लाभ: एक नजर में

  • केवल मादा पशु का जन्म – जिससे दूध उत्पादन में सीधा लाभ।
  • अच्छी नस्ल की बछड़ियां – रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक।
  • नंदी की संख्या में कमी – आवारा पशुओं से राहत।
  • सड़क दुर्घटनाओं में कमी – खासतौर पर शहरी व कस्बाई इलाकों में।
  • पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार – दूध बेचकर नियमित आय।
  • पशु नस्लों का संरक्षण और संवर्धन – गिर, मुर्रा, साइवाल जैसी उत्तम नस्लें।

ब्लॉक स्तर पर पहुंचाई जा रही सुविधा

पशुपालन विभाग ने जिला स्तर पर योजना के प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं और ब्लॉक स्तर पर सेक्स सॉर्टेड सीमन डोज उपलब्ध कराए गए हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी पशुपालक को सुविधा से वंचित न रहना पड़े। स्थानीय पशु चिकित्सा केंद्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कार्मिकों के जरिए इन डोज का सुरक्षित और सटीक उपयोग हो रहा है।

विशेषज्ञ की राय

"सेक्स सॉर्टेड सीमन से जन्मी मादा पशु न केवल नस्ल सुधार में सहायक हैं, बल्कि दूध उत्पादन के नए आयाम भी खोल रही हैं। जिले के सभी पशुपालकों से अनुरोध है कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।"
डॉ. शक्ति सिंह, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, राजसमंद

Published on:
17 May 2025 03:37 pm
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