राजसमंद

पहली बारिश में धुल गई करोड़ों की सड़क, बारिश ने निर्माण की खोल दी पोल

जिले का आमेट इलाका, जो सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व देता है

2 min read
Road News

राजसमंद . जिले का आमेट इलाका, जो सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व देता है — लेकिन बदले में मिली है ऐसी सड़क, जो पहली ही बारिश में बह गई!आमेट से लेकर आगरिया गांव और माइंस एरिया तक जाने वाला यह रास्ता अब खुद एक 'खदान' बन गया है- गड्ढों की खदान। दरअसल, सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की देखरेख में बनी यह सड़क रोजाना सैकड़ों मार्बल ट्रकों का बोझ उठाती है। इन्हीं ट्रकों से डीएमएफटी(DistrictMineralFoundationTrust) फंड में सरकार को मोटी कमाई होती है। मगर पहली मूसलाधार बारिश ने विभाग के निर्माण की पोल खोल दी। डामर तो उड़ गया, अब बचा है सिर्फ मिट्टी और कीचड़।

5 किलोमीटर में सड़क गायब!

करीब 5 किलोमीटर लंबा यह मार्ग चामुंडा माताजी चौराहे से शुरू होकर आगरिया गांव होते हुए माइंस एरिया में पहुंचता है। कहीं सड़क के नाम पर सिर्फ पत्थर बिखरे हैं तो कहीं पानी भरा कीचड़ राह रोक रहा है। भारी वाहन चालक किसी तरह ट्रकों को झटका खाते आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन दोपहिया चालकों की तो शामत आ गई है। फिसलन भरे गड्ढों में बाइक सम्हालना किसी 'सड़कपरीक्षा' से कम नहीं।

ठेकेदार की लापरवाही या विभाग की मिलीभगत?

इलाके के खनन कारोबारी और ग्रामीण खुलकर बोल रहे हैं- सड़क बनी जरूर, लेकिन घटिया मटेरियल से। ठेकेदार ने ठेका पूरा किया, पर गुणवत्ता का गड्ढा भरना भूल गया! तेज बारिश ने सड़क के साथ भ्रष्टाचार को भी उजागर कर दिया। गांव के देवीलाल कुमावत, मथुरालाल, प्रभुलाल, मीठालाल, रामलाल, हिम्मत जैन ने शिकायतों की झड़ी लगा दीञ 181 हेल्पलाइन पर फोन हुए, कागज विभाग तक पहुंचे, मगर जवाब नहीं मिला।

रोज हादसों का डर, फिर भी अधिकारी मौन

हर दिन इन गड्ढों से ट्रक निकलते हैं, गड्ढों में फंसे वाहन पलटने का डर बना रहता है। कई बाइक सवार चोटिल हो चुके हैं। इसके बावजूद न तो सड़क की मरम्मत हुई, न विभाग ने कोई स्थायी समाधान सोचा। खनन मालिकों में गुस्सा इतना है कि उन्होंने चेतावनी दी है — अगर सड़क जल्द दुरुस्त नहीं हुई तो आंदोलन होगा!

करोड़ों का टैक्स, सड़क में जीरो भरोसा

यह इलाका मार्बल माइंस के लिए मशहूर है। इन्हीं माइंस से डीएमएफटी फंड के तहत सरकार को हर साल करोड़ों का फायदा होता है। खनन मालिकों का कहना है कि हम से करोड़ों वसूल कर सरकार अपनी तिजोरी भर रही है, लेकिन हमें देने के लिए एक मजबूत सड़क तक नहीं बची?

अब सवाल यह-कौन जिम्मेदार?

  • क्या ठेकेदार ने निर्माण में घटिया माल लगाया?
  • क्या विभाग ने निगरानी नहीं की?
  • क्या अधिकारियों ने समय पर मेंटेनेंस का प्लान नहीं बनाया?

ग्रामीणों और खनन कारोबारियों का गुस्सा अब आंदोलन की शक्ल लेने वाला है। अगर विभाग अब भी नहीं जागा तो भारी ट्रक बंद होंगे, खदानों से पत्थर रुकेंगे र तब सरकार की कमाई भी थम जाएगी।

Published on:
16 Jul 2025 02:04 pm
Also Read
View All

अगली खबर