पैन कार्ड मामले में सजा के बाद रामपुर जेल पहुंचे आजम खान और अब्दुल्ला पहली रात बेहद परेशान रहे। घर का कंबल और खाना जेल प्रशासन ने नियमों के चलते लौटा दिया। दोनों बैरक में देर रात तक कोर्ट के फैसले और हालात पर चर्चा करते रहे।
रामपुर जेल में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला की शुरुआती दो रातें बेहद कठिन रहीं। दोनों बैरक नंबर-1 में ठहरे हैं। जहां उम्र और सेहत को देखते हुए पिता-पुत्र को साथ रखा गया है। जेल में उपलब्ध पतले कंबल और चादर के कारण आजम पूरी रात करवटें बदलते रहे। घर से लाया गया कंबल और खाना जेल प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए अंदर भेजने से मना कर दिया। जिसके चलते दोनों की जेल कर्मियों से तीखी बहस भी हुई।
परिजनों ने देर रात कंबल, चादर और खाना पहुंचाने की कोशिश की। लेकिन अधीक्षक राजेश यादव ने साफ कहा कि जेल मैनुअल के तहत बाहरी सामान अंदर नहीं ले जाया जा सकता। कोर्ट से अगला आदेश आने तक कैदियों को जेल में उपलब्ध सुविधाओं से ही काम चलाना होगा।
पैन कार्ड प्रकरण में एमपी-एमएलए कोर्ट से सात-सात साल की सजा मिलने के बाद सोमवार शाम 4:10 बजे दोनों को रामपुर जेल लाया गया था। जेल जाते समय आजम के हाथ में केवल चश्मे का केस और दो पैकेट बिस्किट दिखे। बड़ा बेटा अदीब जेल गेट तक साथ गया। और अब्दुल्ला को गले लगाकर भावुक हो गया।
पहली रात पिता-पुत्र देर तक जागते रहे। जेल सूत्रों के मुताबिक, दोनों ने कोर्ट के फैसले, परिवार की चिंता और अपने राजनीतिक भविष्य पर लंबी बातचीत की। रात में थोड़ी देर सो पाए। लेकिन सुबह 6 बजे जेल के नियमों के अनुसार उन्हें जगा दिया गया। घर के खाने पर रोक लगने के बाद दोनों को जेल में बनी मसूर की दाल, आलू-पालक की सब्जी और रोटियां ही खानी पड़ीं। सुबह चाय और हल्का नाश्ता भी दिया गया। मेडिकल जांच में दोनों की तबीयत सामान्य पाई गई।