MP News: कुख्यात गुंडा और ड्रग तस्कर सुनील सूर्या को पुलिस ने आखिरकार उसे उदयपुर से गिरफ्तार कर लिया है। यह एमडी ड्रग के मामले में लंबे समय से फरार चल रहा था। इसने राजस्थान के उदयपुर में शरण ली हुई थी। अब पुलिस इसे शरण देने वालों के साथ ही इसकी सप्लाई चेन का भी पता लगाने में जुटी है।
MP News: कुख्यात गुंडा और ड्रग तस्कर सुनील सूर्या को पुलिस ने आखिरकार उसे उदयपुर से गिरफ्तार कर लिया है। यह एमडी ड्रग के मामले में लंबे समय से फरार चल रहा था। इसने राजस्थान के उदयपुर में शरण ली हुई थी। अब पुलिस इसे शरण देने वालों के साथ ही इसकी सप्लाई चेन का भी पता लगाने में जुटी है। आरोपी के खिलाफ अवैध तरीके से आय और संपत्ति अर्जित करने के मामले में भी पुलिस पड़ताल करेगी।
एसपी अमित कुमार ने मीडिया को बताया आरोपी लंबे समय से फरार था और उसने उदयपुर में शरण ली हुई थी। सायबर सेल के प्रधान आरक्षक मनमोहन शर्मा, लक्ष्मीनारायण, हिमतसिंह, विपुल भावसार, मयंक व्यास, राहुल पाटीदार, तुषार सिसोदिया, मोरसिंह, जितेन्द्र व्यास और कृष्णपाल सिंह की टीम लगातार उसे सर्च कर रही थी। लगातार सर्चिंग और निगरानी से उसकी लोकेशन ट्रेस हुई और जावरा सीएसपी दुर्गेश आर्मो, शहर थाना प्रभारी जितेंद्रपाल सिंह जादौन ने सगीर खान के साथ टीम बनाकर उसकी लोकेशन के आधार पर उसे उदयपुर से गिरत में ले लिया।
गत 6 मई को जावरा शहर पुलिस ने महू-नीमच रोड स्थित जावरा की पटेल होटल के सामने से आरोपी कमलेश पिता पूनमचंद जैन (51) निवासी शास्त्रीनगर और साबिर पिता मेहमूद खान (27) निवासी डाट की पुलिया को 200 ग्राम एमडी ड्रग और कार के साथ गिरतार किया था। इन्होंने सुनील सूर्या को यह ड्रग देने की बात पुलिस के सामने स्वीकारी थी। इसी आधार पर सुनील सूर्या को भी आरोपी बनाया था। तब से यह फरार चल रहा था।
उदयपुर से गिरतार आरोपी सुनील पिता इंदरमल सूर्या (जैन) (38) निवासी शास्त्रीनगर पर अब तक शहर सहित अन्य जिलों के थानों में 43 आपराधिक केस दर्ज है। सभी मामलों में वह अब तक फरार ही चल रहा था। एसपी ने बताया कि वह स्थायी वारंटी भी है। शहर का कोई थाना ऐसा नहीं है जिसमें सूर्या के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हो। इसके अलावा बदनावर, इंदौर सहित अन्य जिलों में भी केस दर्ज है।
एसपी कुमार ने बताया कि आरोपी सूर्या रतलाम में ड्रग तस्करी के साथ ही खरीदी-बिक्री भी करता है। उसने अपने कुछ लोगों को इसमें लगा रखा था। खासकर इसका टागरेट युवा वर्ग होते थे या फिर स्कूल-कॉलेज की लड़कियां। कुछ ऐसी जानकारी भी मिली कि महिलाओं को भी सप्लाई की जिनके डिजिटल ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाली जा रही है।