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यूरिया साल की तुलना, अब तक साढ़े 6 हजार मीट्रिक टन अधिक वितरण

रतलाम. जिले में यूरिया को लेकर नकद वितरण केंद्रों पर भीड़ लग रही हैं। शहर के तीनों वितरण केंद्रों पर किसान टोकन के लिए और ग्रामीण अंचल में भी लाइन लगा रहे हैं, कहीं-कहीं तो सुबह से शाम और रात केंद्रों पर गुजारने को मजबूर हैं। विभागीय आंकड़ों के हिसाब से इस साल की तुलना […]

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फिर भी नकद वितरण केंद्रों पर किसानों की कतार नहीं हो रही कम

रतलाम. जिले में यूरिया को लेकर नकद वितरण केंद्रों पर भीड़ लग रही हैं। शहर के तीनों वितरण केंद्रों पर किसान टोकन के लिए और ग्रामीण अंचल में भी लाइन लगा रहे हैं, कहीं-कहीं तो सुबह से शाम और रात केंद्रों पर गुजारने को मजबूर हैं। विभागीय आंकड़ों के हिसाब से इस साल की तुलना में इस साल अब तक जिले साढ़े 6 हजार मीट्रिक टन यूरिया अधिक वितरण किया जा चुका हैं, फिर भी भीड़ कम नहीं हो रही हैं। जिस हिसाब से यूरिया का उपयोग किया जा रहा हैं, इसका सीधा असर खेत की मिट्टी पर पड़ेगा, वह कठोर होकर आने वाले समय में उत्पादन भी प्रभावित हो सकता हैं।
किसानों की माने इस साल बारिश पर्याप्त मात्रा में होने से चना और लहसुन का रकबा कम होकर गेहूं का बढ़ा हैं। इस कारण भी यूरिया की मांग अधिक हैं। जिले में 3 लाख हेक्टर क्षेत्र में रबी फसल की बोवनी हो रही हैं। इसमें गेहूं, चना, सरसो, अलसी, मसूर, मटर, लहसुन-प्याज की खेती की जा रही हैं। जिले में गेहूं की 1 लाख 75 हजार हेक्टर क्षेत्र में बोवनी होना हैं। रिंगनिया के किसान जयप्रकाश पाटीदार ने बताया कि शुरुआत के दो पानी में यूरिया का उपयोग किया जाता हैं, जिससे अच्छी फ्रुटिंग हो जाए, एक बीघा में एक बोरी का उपयोग करते हैं। इस साल गेहूं का रकबा अधिक हैं, चने उमलने की बीमारी का कारण कम लगा हैं। पिछले साल से लहसुन भी कम हैं। बारिश अधिक होने से जहां नहीं लगते थे वहां भी गेहूं लग रहे हैं।

किसान रखें इन बातों का ध्यान
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं में पहली सिंचाई बोनी के 25 दिनों के अंतराल में अवश्यक करें, क्योंकि इस समय क्राउन रूट बनती हैं। जिससे कल्ले ज्यादा होंगे। दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन में, तीसरी सिंचाई 60 से 70 दिन में, चौथी सिंचाई 80 से 90 दिन में, पांचवी सिंचाई 90 से 100 दिन में दुग्धावस्था में देने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता हैं। नई विकसित किस्म में तीन से चार सिंचाई की आवश्यकता है। 3 से 4 सिंचाई पर्याप्त है, उपज 55 से 60 क्विंटल होती हैं। जहां तक संभव हो स्प्रिंकलर का उपयोग करें, गेहूं फसल में फूल अवस्था में स्प्रिंकलर ‘फव्वारा पद्धति’ का उपयोग नहीं करना चाहिए, इससे फूल झड़ जाते हैं। किसान संतुलित मात्रा में खाद का उपयोग करें।

संतुलित मात्रा में करें उर्वरक का उपयोग
जिले में अधिकांश क्षेत्रों में बोवनी हो चुकी हैं। किसान को एक हेक्टर में 175 से 176 किलो ग्राम यूरिया का उपयोग करना चाहिए, अधिक यूरिया डालने से पौधा तो हरा हो जाएगा, लेकिन कमजोर रहेगा। इसके बाद इसमें रसचूसक कीड़े लगने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए संतुलित मात्रा में पहली और दूसरी सिंचाई के दौरान यूरिया का उपयोग कर सकते हैं।
भीका वास्के, सहायक संचालक कृषि

पिछले साल से अधिक वितरण
यूरिया का लगातार वितरण किया जा रहा हैं। पिछले साल से साढ़े हजार मीट्रिक अधिक यूरिया वितरण हो चुका हैं। उर्वरक पर्याप्त मात्रा में किसान संतुलित मात्रा में उपयोग करें। ताकि आने वाले समय में खेती की भविष्य उज्जवल रहे।
यशवर्धनसिंह, डीएमओ विपणन संघ