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चैट्स से खुली पोल, समीर मोदी रेप केस मामले मे नया मोड़…आरोप लगाने वाली महिला पर ही FIR का आदेश

Sameer Modi rape case: पूर्व आईपीएल अध्यक्ष के भाई समीर मोदी रेप केस मामले में नया मोड़ सामने आया है। दरसल, अदालत ने बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ FIR का आदेश दिया है।

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Sameer Modi rape case Delhi court order FIR against woman

पूर्व आईपीएल अध्यक्ष का भाई

Sameer Modi rape case: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को पूर्व भारतीय प्रीमियर लीग (आईपीएल) अध्यक्ष के भाई, समीर मोदी के मामले में बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने समीर मोदी पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ जबरन वसूली (एक्सटॉर्शन) के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुई व्हाट्सऐप चैट्स को पहली नजर में देखने से ही जबरन वसूली का संज्ञेय अपराध बनता है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) विनोद जोशी, साकेत कोर्ट ने 16 दिसंबर को दिए अपने आदेश में कहा कि चैट्स से यह साफ होता है कि समीर मोदी को बलात्कार के आरोप में फंसाने की धमकी देकर डराया गया और उनसे पैसे की मांग की गई।

क्या है पूरा मामला

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर समीर मोदी की पूर्व लिव-इन पार्टनर ने उनके खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। महिला पर आरोप है कि उसने इस मामले को निपटाने के लिए समीर मोदी से 50 करोड़ रुपये की मांग की थी। समीर को दिल्ली पुलिस ने सितंबर में इस बलात्कार मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि, गिरफ्तारी के एक हफ्ते बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी। समीर मोदी की ओर से कोर्ट में सीनियर एडवोकेट विक्रम शर्मा, एडवोकेट सिद्धार्थ यादव और सौरभ आहूजा ने पैरवी की। उनके वकीलों का शुरू से कहना था कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से थे और महिला उन पर पैसे ऐंठने का दबाव बना रही थी। अदालत ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308(6) यानी जबरन वसूली और धारा 69 यानी धोखे से यौन संबंध बनाने से जुड़े प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि चैट्स में अपराध के संकेत साफ तौर पर नजर आते हैं।

पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। जज ने कहा कि समीर मोदी ने 8 अगस्त 2025 को ही पुलिस के पास जबरन वसूली की शिकायत दी थी, जो महिला द्वारा दर्ज कराई गई बलात्कार की एफआईआर से करीब दो महीने पहले की है। इसके बावजूद पुलिस ने मोदी की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। अदालत ने पुलिस के इस तर्क को बेतुका बताया और कहा कि समीर मोदी की शिकायत महिला द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर का जवाब या काउंटरब्लास्ट है। जब शिकायत पहले दी गई थी, तो उसे बाद में दर्ज एफआईआर का जवाब कैसे माना जा सकता है।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने कहा कि जहां समीर मोदी की शिकायत पर पुलिस ने महीनों तक कोई कदम नहीं उठाया, वहीं महिला की शिकायत पर राज्य की पूरी मशीनरी तुरंत सक्रिय हो गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना किसी नोटिस के समीर मोदी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया गया और 18 सितंबर 2025 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जज ने जांच अधिकारी (IO) के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि दोनों शिकायतें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और अलग से जांच की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर समीर मोदी की शिकायत जांच के लायक थी, तो यह सवाल बना रहता है कि उस पर समय रहते जांच क्यों नहीं की गई। आखीर में अदालत ने महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश देते हुए कहा कि कानून सभी के लिए समान है और शिकायत के समय अन्य सबूतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।