जिम्मेदार सही जवाब देने से बच रहे, डीईओ ने पहले रोकने का लिखा और बाद में संशोधित पत्र जारी किया
रतलाम. शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में ईअटेेंडेंस अब शिक्षकों और विभागीय अमले के लिए मुसीबत बन गई है। दिसंबर माह की दो तारीख होने के बाद भी दोनों ही विभागों के हजारों कर्मचारियों को वेतन जारी नहीं हुआ है। इसे लेकर कर्मचारी संगठन और इनसे जुड़े नेता गुस्से में हैं। वेतन रोकने का आदेश किसने दिया यह कोई नहीं बता पा रहा है। कोषालय से वेतन बिल रिजेक्ट करके बीईओ के लॉगिन में वापस कर दिए हैं। कोषालय में समय रहते वेतन बिल पहुंच चुके थे किंतु 2 तारीख को लगभग सभी बिलों को रिजेक्ट करते हुए ई अटेंडेंस प्रमाणीकरण देने का मैसेज भेज दिया। शाम को मीडिया तक बात पहुंचने से विभागीय अधिकारियों में हडक़ंप मचा और रात में ही बिल जारी करने के फोन घनघनाने लगे। बिल रिजेक्ट होने से यह संभव नहीं है। अब कर्मचारियों को दो दिन बाद ही वेतन मिल पाएगा।
डीईओ ने दूसरे दिन बदला पत्र
जिला शिक्षा अधिकारी अनिता सागर ने 1 दिसंबर को पत्र जारी करके ई अटेंडेंस नहीं लगाने वालों की जानकारी मांगी। इसमें लिखा था कि ई अटेंडेस नहीं लगाने वालों के वेतन रोकने बाबत। दूसरे दिन 2 दिसंबर को डीईओ ने नया पत्र जारी करके केवल जानकारी मांगने का लिखा। दो दिन में दो पत्र जारी करने से असमंजस की स्थिति निर्मित हो गई है। बताया जाता है सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग ने भी एक परिपत्र जारी किया है और इसमें लेखा शाखा को प्रतिलिपि दी गई।
दोनों ही तरह के कर्मचारी
पहले सप्ताह में ई अटेंडेंस 20 फीसदी से भी कम थी। हाल ही में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार 65 फीसदी से ज्यादा ई अटेंडेंस लगाने वालों की संख्या हो गई है। ई अटेंंडेंस लगाने वाले और नहीं लगाने वाले समान हो गए और सभी का वेतन रुक गया है। वेतन रुकने से कर्मचारी जगत में हाहाकार मच गया है।
रीजनरेट करना होंगे वेतन बिल
कोषालय से वेतन बिलों को रिजेक्ट कर देने से संकट यह हो गया कि सारे बिलों को रीजनरेट करना पड़ेगा। इन्हें फिर से कोषालय को ऑनलाइन ही भेजा जाएगा और इससे वेतन जारी होने में कम से कम 24 घंटे से ज्यादा का समय लगना तय है। ऐसे में 3 दिसंबर को नए सिरे से बिल लगते हैं तो 4 दिसंबर की शाम तक ही वेतन मिल पाएगा।
न्यायालय में केस चल रहा
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के संरक्षक दीपक सुराना और जिला अध्यक्ष शरद शुक्ला ने वेतन आहरण को लेकर कलेक्टर को एक पत्र लिखा कि ई अटेंडेंस को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में 27 सितंबर को याचिका क्रमांक 39386/2025सतेन्द्र सिंह तिवारी एवं अन्य 26 बनाम मध्यप्रदेश शासन प्रस्तुत की गई। न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते जिले के शिक्षकों का वेतन रोका जाना न्यायसंगत नहीं होगा। 3 दिसंबर को न्यायालय में प्रकरण पर सुनवाई है।
वीडियो वायरल, पीड़ा बताई
पिपलौदा संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष गणेश मालवीय का वीडियो सोशल मीडिया पर मंगलवार की शाम को वायरल हुआ। इसमें मालवीय ने स्पष्ट रूप से कहा कि वेतन रोकना प्रशासन की निर्दयता है। महीनेभर काम करने के बाद वेतन नहीं देना यह बताता है कि प्रशासन की मानवीय संवेदना समाप्त हो गई है।