धर्म और अध्यात्म

New Year 2026 : 13 महीने का होगा 2026, 60 दिनों का महीना! जानिए इस दुर्लभ समय-चक्र के पीछे का रहस्य

Adhik Maas 2026 : साल 2026 कई मायनों में बेेहद खास संयोग बन रहा है। यह साल 12 नहीं, बल्कि 13 महीने का होने वाला है। यदि इस माह में कोई व्यक्ति कुछ छोटी गलतियां करता है, तो उसका पूरा साल तकलीफों में बीत सकता है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ उपाय लेकर आए हैं, जिन्हें फॉलो कर आप साल को खुशी और शांति से व्यतित कर सकते हैं।

2 min read
Dec 07, 2025
Adhik Maas 2026 : 2026 में आ रहा 60 दिनों का महीना! कहीं चूक न जाएं ये खास बातें! (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Adhik Maas 2026 : साल 2026 कई मायनों में खास होने वाला है। सबसे बड़ा संयोग ये बन रहा है कि यह साल 12 नहीं, बल्कि 13 महीने का होगा। यानी कि विक्रम संवत 2083 में एक अतिरिक्त चंद्र मास जुड़ेगा। इसी वजह से ज्येष्ठ माह में अधिक मास आएगा। यह दुर्लभ स्थिति ज्येष्ठ अवधि को लगभग 60 दिनों तक बढ़ा देगी। इससे साल 2026 कुल 13 महीनों का होगा। यह घटना चंद्र और सौर गणना के अंतर के कारण होती है। धार्मिक हिसाब से इस महीने का विशेष महत्व होता है। यदि इस माह में कोई व्यक्ति कुछ छोटी गलतियां करता है, तो उसका पूरा साल रुखा-सुखा बीत सकता है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ उपाय लेकर आए हैं, जिन्हें अपनाकर आप सालभर खुशी और शांति से गुजार सकते हैं।

ये भी पढ़ें

Weekly Horoscope 7 To 13 December 2025 : इस सप्ताह तुला से मीन तक: किसे मिलेगी सफलता और किसे बरतनी होगी सावधानी?

शुभता और ऊर्जा देता है अधिक मास

हिन्दू संस्कृति में अधिक मास बेहद शुभ और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण महीना माना जाता है। मान्यता है कि, यदि इस माह में सही से साधना, पूजा, व्रत और दान कर लें, तो आपको वो सब मिल सकता है, जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा।

अधिमास 2026 कब है?

कैलेंडर के अनुसार, वर्ष 2026 में ज्येष्ठ का महीना 22 मई से शुरू होकर 29 जून 2026 तक रहेगा। वहीं अधिक मास 17 मई 2026 से शुरू होकर15 जून 2026 तक चलेगा। जब किसी माह की अवधि कैलेंडर में दो बार आती है, तो उसे पुरुषोत्तम मास या अधिक मास कहते हैं।

अधिमास क्यों जुड़ता है?

अधिमास चंद्र और सौर गणना के अंतर को बैलेंस करने के लिए जोड़ा जाता है। लगभग हर 32 महीनों में, 16 दिन और कुछ घंटे एक्सट्रा समय मिलकर पूरे महीने के बराबर हो जाता है। सनातन धर्म में, इसी अवधि (Duration) को अधिक मास कहा जाता है। इसे ज्येष्ठ माह भी कहते हैं।

अधिक मास क्यों आता है?

चांद्र कैलेंडर और सौर वर्ष की अवधि एक जैसी नहीं होती चंद्रमा का मासिक चक्र सूर्य के चक्र से थोड़ा कम होता है जिसके कारण हर वर्ष लगभग 11 दिन का अंतर बढता जाता है लगभग 32 महीने 16 दिन में यह अंतर एक पूरे महीने के बराबर हो जाता है इसी अतिरिक्त अवधि को संतुलित करने के लिए कैलेंडर में एक अतिरिक्त महीना जोडा जाता है जिसे अधिमास कहा जाता है

अधिक मास में क्या नहीं करना चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार, अधिक मास में जल की बर्बादी, दिन में सोना, क्रोध और कलह बिल्कुल नहीं करना चाहिए। साथ ही बैंगन, लहसुन, राई, मसालेदार भोजन, मांसाहार और मदिरा का सेवन कतई न करें। बड़े बच्चों का विवाह और नए घर का निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए। दरअसल, ये महीना संयम, दान और आत्म-शुद्धि का होता है। ऐसे में अधिक मास में गर्मी और वात दोष से बचने की सलाह दी जाती है।

अधिक मास में क्या करना चाहिए?

अधिक मास में जल दान, प्याऊ लगाना, पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था और तुलसी व सूर्य देव की पूजा करना बहुत फायदेमंद होता है। साथ ही निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा और वट सावित्री जैसे व्रत भी रखना शुभ होता है। एक समय भोजन व तिल दान कर पुण्य कमा सकते हैं। इससे भगवान विष्णु की कृपा और सुख-शांति मिलती है।

ये भी पढ़ें

Saptahik Rashifal 7 To 13 December 2025 : साप्ताहिक राशिफल : वृश्चिक में चतुर्ग्रही योग, राजयोग से मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या की किस्मत कैसी रहेगी?

Published on:
07 Dec 2025 11:41 am
Also Read
View All

अगली खबर