Raksha Bandhan 2025: आमतौर पर रक्षाबंधन पर भद्रा काल की वजह से शुभ मुहूर्त में बाधा आ जाती है, लेकिन इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे भाई-बहन पूरे उत्साह और आनंद के साथ यह पावन पर्व मना सकेंगे।
Raksha Bandhan 2025 Date And Time: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती है, तिलक करती है और आरती उतारती है। भाई भी बहन की रक्षा का वचन देता है और उसे उपहार देता है। यह पर्व सदियों से हमारी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा रहा है, और हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस विषय पर ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने राखी बांधने के शुभ समय को लेकर जानकारी दी है। आइए जानते हैं उनके अनुसार बन रहे तीन योगों के बारे में भी।
रक्षाबंधन इस वर्ष शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का कोई प्रभाव नहीं रहेगा।
| घटना | दिनांक और समय |
|---|---|
| पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:12 बजे |
| पूर्णिमा तिथि समाप्त | 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:21 बजे |
| शुभ चौघड़िया | प्रातः 07:35 से 09:15 बजे तक |
| चर-लाभ-अमृत चौघड़िया | दोपहर 12:32 से शाम 05:26 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 12:08 से 12:56 बजे तक |
-पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे
-पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1:21 बजे
-शुभ चौघड़िया: प्रातः 07:35 से 09:15 बजे तक
-चर-लाभ-अमृत चौघड़िया: दोपहर 12:32 से शाम 05:26 बजे तक
-अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:08 से 12:56 बजे तक
इन शुभ समयों में राखी बांधना विशेष रूप से फलदायी रहेगा।
पिछले कुछ वर्षों से रक्षाबंधन पर भद्रा काल के कारण बहनें असमंजस में रहती थीं। लेकिन इस बार भद्रा काल 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर रात 1:52 बजे तक रहेगा, जो कि रक्षाबंधन की तिथि से पहले ही समाप्त हो जाएगा। 9 अगस्त को पूरे दिन शुभ समय रहेगा और भाई-बहन बिना किसी विघ्न के प्रेमपूर्वक त्योहार मना सकेंगे।
इस साल रक्षाबंधन के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जैसे -सौभाग्य योग,शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य विशेष फलदायी होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ये योग रक्षाबंधन के महत्व को और बढ़ा देते हैं।
-राखी बांधते समय ध्यान रखें कि भाई पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। पूजा की थाली में चावल, रोली, दीपक, राखी और मिठाई रखें।
-सबसे पहले भाई को रोली से तिलक करें।
-तिलक के बाद अक्षत (चावल) लगाएं, जो अखंड शुभता का प्रतीक हैं।
-फिर राखी बांधें और आरती उतारें।
-भाई को मिठाई खिलाएं और दीर्घायु की कामना करें।
-कई स्थानों पर सिक्के से नजर उतारने की भी परंपरा है, जिसे आप चाहें तो पालन कर सकते हैं।