धर्म और अध्यात्म

Sawan Pradosh Vrat 2025: सावन के अंतिम प्रदोष व्रत कब है? जानिए व्रत का महत्व, सही मुहूर्त और पूजा विधि

Sawan Pradosh Vrat 2025: सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत ही पावन महीना रहता है। ऐसे में सावन का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत कब पड़ेगा और किस विधिपूर्वक इसकी पूजा करें जिससे जीवन में शांति और सुख-समृद्धि का वास हो ।आइए जानते हैं।

2 min read
Jul 31, 2025
Pradosh Vrat 2025 फोटो सोर्स – Freepik

Sawan Pradosh Vrat 2025: हिंदू पंचांग में प्रदोष व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत शिव भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह तिथि शिव को अत्यंत प्रिय मानी जाती है। ऐसे में इस दौरान पड़ने वाला प्रदोष व्रत और भी फलदायी माना जाता है। इस व्रत में शिव की उपासना की जाती है, शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित किया जाता है। साथ ही यह व्रत कर्ज, रोग और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ जीवन की आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस साल का पहला प्रदोष व्रत 22 जुलाई को रखा गया था। अब जानते हैं कि इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब है और इसे किस प्रकार फलदायी रूप से किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें

Sawan Somwar 2025: सावन के अंतिम सोमवार पर क्यों होता है पूजा का खास महत्व?

कब है 2025 में सावन का दूसरा प्रदोष व्रत?

सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत रखा जाएगा और यह 6 अगस्त बुधवार को पड़ेगा। त्रयोदशी तिथि की शुरुआत दोपहर 2:08 बजे होगी और इसका समापन 7 अगस्त को दोपहर 2:27 बजे पर होगा। ऐसे में 6 अगस्त को सावन का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

यह शुभ व्रत प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के समय होता है। 6 अगस्त को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:08 बजे से रात 9:16 बजे तक रहेगा। इस दौरान शिवलिंग की विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में की जाती है, जो दिन की शुभ बेला मानी जाती है।

सबसे पहले स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।

एक पवित्र लकड़ी की चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

फिर शिवलिंग स्थापित कर उस पर जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।

इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, शमी पत्र और धतूरा अर्पित करें।

शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं और 'ॐ नमः शिवाय', 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे' जैसे शिव मंत्रों का जाप करें।

पूजा के पश्चात प्रदोष व्रत की कथा सुनें और शिव जी की आरती करें।

अंत में वस्त्र या अन्न का दान करें और अपने भूलों के लिए भगवान से क्षमा मांगें।

क्या मान्यता है सावन के प्रदोष व्रत की विशेषता को लेकर?

मान्यता के अनुसार सावन के महीने में माता पार्वती ने शिव को अपने पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस महीने किया गया हर व्रत और पूजा अति फलदायी मानी जाती है। प्रदोष व्रत विशेष रूप से शिव कृपा प्राप्त करने का उत्तम उपाय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन की गई पूजा से शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

ये भी पढ़ें

Rashifal 28 July : सावन का तीसरा सोमवार, कुंवारी कन्याओं और इन 7 राशियों के लिए खुलेगा किस्मत का द्वार

Also Read
View All

अगली खबर