Single use plastic : धार्मिक स्थल और कार्यों में प्लास्टिक बैग्स को कहें ‘ना’
जबलपुर. सिंगल यूज प्लास्टिक बैग्स से पर्यावरण, जानवरों के साथ मनुष्यों को नुकसान तो पहुंच ही रहा है, यह धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र भी नहीं है। लेकिन बारिश में पूजन सामग्री व प्रसाद को बचाने के लिए नर्मदा किनारे और मंदिर जाने वाले लगभग हर व्यक्ति के हाथ में यह जहरीली प्लास्टिक की थैलियां नजर आ रही हैं। नर्मदा तटों पर प्लास्टिक बैग बिखरे पड़े हैं। इससे होने वाले खतरों की परवाह न करते हुए इनका भंडारे, प्रसाद वितरण व अन्य धार्मिक कार्यों में उपयोग हो रहा है। जबकि जरा सी जागरुकता से यह समस्या दूर हो सकती है। इस मसले पर शहर के संत प्लास्टिक बैग्स के उपयोग के खिलाफ नजर आए। उन्होंने आमजन से प्लास्टिक का बहिष्कार करने और स्वस्थ जीवन जीने की राह चुनने का आग्रह किया। कहा कि नर्मदा तट, मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर प्लास्टिक के उपयोग पर सती से पाबंदी लगाई जाए।
प्लास्टिक अपवित्र, कपड़े की थैली का करो उपयोग
संत समुदाय का कहना है कि पॉलीथिन नुकसानदायक है यह जानते हुए भी लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। सरकार की ओर से अभियान भी चलाया गया, लेकिन लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं। इसका नुकसान हमें ही भरना होगा। घर का कचरा व सब्जियां पॉलीथिन में भरकर कचरे में फेंक देते हैं। इसे खाकर गोवंश बीमार हो जाते हैं। मंदिरों में भी पॉलीथिन में हर सामग्री ले जाते हैं। संतों के अनुसार यह धार्मिक दृष्टिकोण से अपवित्र है। पॉलीथिन के बहिष्कार की शुरुआत हमें खुद व घर से ही करनी होगी। इसकी जगह कपड़े के थैले का उपयोग करना होगा।
एक्सपर्ट व्यू
पर्यावरणविद् विनोद दुबे के अनुसार प्लास्टिक की थैलियां सैकड़ों वर्षों तक डीकपोज नहीं होतीं। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक बैग्स खान-पान की सामग्री, प्रसाद, पूजन सामग्री को जल्दी खराब कर देता है। प्लास्टिक बैग्स का कचरा कृषि भूमि, ग्राउंड वाटर को भी दूषित करता है। मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, प्लास्टिक बैग्स के तत्वों के भोजन में मिलने से अस्थमा, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
दूषित हो जाता है प्रसाद
प्लास्टिक बैग का उपयोग बंद करें। यदि आवश्यक हो तो 100 माइक्रोन से ऊपर के प्लास्टिक का सीमित उपयोग करें। प्लास्टिक से पहले भी पत्तों, कागज, कपड़े जैसे कई प्राकृतिक विकल्प थे। उस ओर फिर मुड़ना होगा।
गिरीशानंद सरस्वती, साकेतधाम, गौरीघाट
पॉलीथिन बैग्स में रखा प्रसाद या खाने की सामग्री दूषित हो जाती है। इसका उपयोग बंद करें और स्वास्थ लाभ लें। गाय को गोमाता का दर्जा दिया गया है। यह प्लास्टिक उनका भोजन बनती है। उसके स्वास्थ्य की भी चिंता करें।
डॉ. नरसिंहदास, नरसिंह पीठ
पूजास्थल में न ले जाएं प्लास्टिक बैग
हमारा जीवन सात्विक होना चाहिए। इसके लिए प्लास्टिक बैग को न कहना होगा। पॉलीथिन में प्रसाद व पूजन सामग्री न रखें। पूजा स्थल में प्लास्टिक बैग में कोई भी सामग्री लेकर नहीं जाएं। पॉलीथिन को पवित्र नहीं माना गया है।
अखिलेश्वरानंद गिरि
सबके लिए हानिकारक
लोक और जीव कल्याण के लिए प्लास्टिक बैग पर रोक लगनी चाहिए। प्लास्टिक स्वास्थ्य खराब कर रहा है। आगामी पीढ़ी के लिए भी हानिकारक है। धार्मिक स्थलों पर प्लास्टिक का उपयोग बंद करें।
ब्रह्मचारी चैतन्यानंद, बगलामुखी मठ, सिविक सेंटर