Surya Uttarayan 2025: हिंदू धर्म मानने वालों के घरों सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन होने का जिक्र सुना ही होगा। अभी प्रत्यक्ष देवता सूर्य दक्षिणायन हैं। लेकिन क्या आपको मालूम हे कि क्या होता है सूर्य का उत्तरायण होना और कब सूर्य उत्तरायण होंगे। जानें इसका महत्व ..
Surya Uttarayan 2025: उत्तरायण दो शब्दों से मिलकर बना है उत्तर और अयन, जिसमें उत्तर दिशा है, जबकि अयन का शाब्दिक अर्थ है गमन। उत्तरायण (उत्तर) का अर्थ हुआ उत्तर में गमन और सूर्य उत्तरायण का अर्थ हुआ सूर्य का उत्तर में गमन और यह सूर्य की एक दशा है।
इस तरह सूर्य का उत्तर दिशा में गमन उत्तरायण और दक्षिण दिशा में गमन दक्षिणायन (कर्क संक्रांति पर) हुआ। इन्हें ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थिति छह-छह माह बनी रहती है।
(बता दें कि सूर्य आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करता है, जो लगभग 137 मील (220 किलोमीटर) प्रति सेकंड की गति से लगभग 230 मिलियन वर्ष का समय लेता है। यह आकाशगंगा के माध्यम से लगभग 60° के कोण पर घूम रहा है।)
ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य की दशा उत्तरायण होने पर आप क्षितिज पर सूर्योदय होने के बिंदु को प्रतिदिन देखेंगे तो यह बिंदु धीरे धीरे उत्तर की और बढ़ता नजर आएगा। वहीं दिन में सूर्य के उच्चतम बिंदु को रोज देखेंगे तो पाएंगे कि उत्तरायण के दौरान वह बिंदु हर दिन उत्तर की ओर बढ़ रहा है।
उत्तरायण की दशा में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबा और रात छोटी होती है। उत्तरायण का आरंभ मकर संक्रांति (प्रायः 14 जनवरी) से होता है और यह दशा 21 जून तक बनी रहती है। इसलिए इस दिन उत्तरायण उत्सव भी मनाया जाता है। इसके बाद दक्षिणायन (दक्षिण में गमन) प्रारंभ हो जाता है, जिसमें दिन छोटा और रात लंबी होने लगती है।
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धार्मिक ग्रंथों में उत्तरायण को देवताओं के दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के रूप में जाना जाता है। उत्तरायण में बसंत, शिशिर और गर्मी की ऋतु शामिल होती है। यह छह महीने चलता है। इस समय शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है। इस दिन सूर्य की पूजा, स्नान, दान और उत्सव मनाने का महत्व है। उत्तराखंड का उत्तरायणी मेला देश भर में प्रसिद्ध है।
क्योंकि मान्यता है कि इस समय देवी-देवता जागृत अवस्था में रहते हैं, जबकि देवताओं की रात के समय उनको पुकारना उनकी नींद में खलल डालना है। इससे देवी देवताओं के नाराज होने और उसके दुष्परिणाम का खतरा रहता है।
उत्तरायण के समय सूर्य की किरणें तेजोमय हो जाती हैं और इसका सेहत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। यह जीवन में शांति बढ़ाने वाली होती है। यह सकारात्मकता का प्रतीक है, जबकि दक्षिणायन नकारात्मकता का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार उत्तरायण उत्सव और त्योहार मनाने का समय है, जबकि दक्षिणायन व्रत साधना और ध्यान का समय है।
उत्तरायण के छह माह में (शिशिर, बसंत और ग्रीष्म ऋतु) गृह प्रवेश, यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान विवाह आदि किए जाते हैं, जबकि दक्षिणायन के दौरान विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्यों के लिए निषेध है। बल्कि इस दौरान व्रत और सात्विक-तांत्रिक साधना करना ठीक होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवताओं का एक दिन (दिन-रात मिलाकर) मनुष्य के एक वर्ष के बराबर होता है। वहीं मनुष्यों का एक माह पितरों के एक दिन के बराबर होता है।
पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को है यानी इसी समय सूर्य उत्तरायण होना शुरू करते हैं। मकर संक्रांति का क्षण सुबह 9.03 बजे है। इसी समय से सूर्य उत्तरायण होना शुरू करेंगे।
14 जनवरी मकर संक्रांति 2025 का पुण्यकाल सुबह 9.03 बजे से शाम 6.07 बजे तक यानी 9 घंटे 4 मिनट का है। जबकि मकर संक्रांति का महापुण्यकाल सुबह 9.03 बजे से 10.51 बजे तक यानी 1 घंटा 48 मिनट है।