डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. के बी जोशी ने सोने के सूक्ष्मतम कणों पर शोध किया है। इस शोध को एशिया और यूरोप के साइंस जर्नल में काफी
सागर. डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. के बी जोशी ने सोने के सूक्ष्मतम कणों पर शोध किया है। इस शोध को एशिया और यूरोप के साइंस जर्नल में काफी सराहा गया है। प्रोफेसर जोशी ने सोने के सूक्ष्मतम कणों को लेकर माइक्रो स्ट्रक्चर तैयार किया है। उनका कहना है कि इस माइक्रो स्ट्रक्चर की मदद से रोगों को खत्म करने का काम आसानी से किया जा सकता है। सोने के सूक्ष्म कण शरीर के अंदर और शरीर के बाहर होने वाले बैक्टीरिया जनित रोगों को खत्म करने में काफी कारगर है। उनकी इस रिसर्च से सिद्ध हुआ है, कि गोल्ड स्वास्थ्य के क्षेत्र में बैक्टीरिया जनित संक्रमण से लडऩे में काफी कारगर है। डॉ. जोशी के अनुसार हाल ही में इस रिसर्च को कैमिस्ट्री-एन एशियन जर्नल ने प्रकाशित किया है।
प्रोफेसर के बी जोशी ने बताया कि यदि हम सोने के नैनोपार्टिकल्स को किसी तरह अपने जीवन में लाभदायक बनाने के लिए इसका उपयोग कर सकें, तो इससे बेहतर क्या होगा। सोना शरीर में नैनो पार्टिकल के रूप में जाकर अंदर के विषैली प्रजातियों जैसे बैक्टीरिया को नष्ट करता है। उन्होंने यह शोध सीएसआईआर, केंद्रीय औषध अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) लखनऊ के सूक्ष्मजीव विज्ञानी डॉ. सिद्धार्थ चौपड़ा के साथ किया है।
डॉ. के बी जोशी के अनुसार एक सरल और प्रभावी रणनीति के जरिए हमें इस रिसर्च में सफलता मिली है। खासकर बैक्टीरिया जनित संक्रमण में हम और हमारे साथी वैज्ञानिकों ने शार्ट पेप्टाइड़ एम्फीफाइल्स (ऐसे अणु जो पानी से आकर्षण और पानी से विकर्षण का गुण रखते हैं) को सोने के कणों से मिलाकर हाइब्रिड नैनो स्ट्रक्चर की नई श्रृखंला विकसित की है। इसमें शार्ट पेप्टाइड एम्फीफाइल्स की स्वाभाविक आत्म संयोजन की क्षमता और सोने के रोगाणुरोधी गुणों का उपयोग किया गया है। यह पेप्टाइड अपने आप बीटाशीट नैनो स्ट्रक्चर का निर्माण करते हैं। जब सोने के आयन को इन संरचनाओं के साथ मिलाकर सूर्य के प्रकाश में थोड़ी देर के लिए रखते हैं, तो ये सजीव रूप में सोने के नैनो कण के रूप में समाहित होकर अत्यंत स्थिर नैनो स्ट्रक्चर तैयार करते हैं।
डॉ. के बी जोशी ने बताया कि यह माइक्रो स्ट्रक्चर एंडोजिनियस (शरीर के भीतर) और एक्जोजिनियस (शरीर के बाहर) दो तरह से काम करेगा। शरीर के भीतर इसे लक्षित दवा वितरण प्रणाली (टारगिटेड ड्रग डिलेवरी) के रूप में सोने के सूक्ष्मतम कणों को मुख्य रूप से संक्रमण वाली जगह पर पहुंचाएगा, क्योंकि इसको इस तरह तैयार किया गया है कि वो सीधे संक्रमित जगह पर ही पहुंचेगा और वहां पहुंचकर बैक्टीरिया प्रतिरोधी के तौर पर काम करेगा। वहीं शरीर के बाहर यदि शरीर की त्वचा पर किसी भी तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, तो इस मॉलिक्युल का उस पर किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होगा। इसका अध्ययन इस रिसर्च के दौरान किया है। ऐसे में अगर इसे किसी मरहम के तौर पर उपयोग करते हैं, तो उस रूप में भी यह बेहतर काम करेगा।