कीटनाशक, रासायनिक खाद का उपयोग भी हो रहा ज्यादा, जमीन के बंजर होने का खतरा
बीना. किसान पहले सिर्फ रबी और खरीफ की फसल लेते थे, जिससे गर्मी के मौसम में खेत खाली रहते थे। साथ ही किसान गहरी जुताई भी इसी मौसम में करते थे, जिससे नई मिट्टी ऊपर आए जाए और कीट खत्म हो जाएं, लेकिन अब पिछले कुछ वर्षों से तीसरी फसल भी किसान लेने लगे हैं, जिससे जमीन खराब होने का खतरा बढ़ गया है।
खरीफ, रबी फसल के साथ-साथ ग्रीष्मकालीन फसल में किसान मूंग की बोवनी करने लगे हैं, जिससे किसानों को लाभ तो हो रहा है, लेकिन जमीन खराब हो रही है। गर्मी के मौसम जमीन को धूप की जरूरत होती है, उसी समय किसान मूंग की बोवनी कर सिंचाई कर रहे हैं, जिससे जमीन की नमी खत्म नहीं हो पा रही है। लगातार नमी रहने से फसल की जड़ों में फंगस लगेगा। साथ ही खाद और कीटनाशक भी डाला जा रहा है, जो जमीन को धीरे-धीरे खराब और जहरीला बना रहे हैं। यदि किसान गोबर या जैविक खाद का उपयोग करने लगें, तो कुछ हद तक जमीन सुरक्षित रह सकती है। गौरतलब है कि इस वर्ष मूंग की फसल 2600 हैक्टेयर में बोई गई है। इसके बाद सीधे खरीफ फसल की बोवनी कर दी जाएगी।
गर्मी में जमीन खाली रखना जरूरी
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार गर्मी के मौसम में जमीन को खाली रखना जरुरी है और गहरी जुताई भी कर सकते हैं, जिससे नई मिट्टी ऊपर आती है और कीट भी खत्म हो जाते हैं।
मूंग के बाद सनई, ढैंचा की करें बोवनी
यदि किसान गर्मी में मूंग की फसल लेते हैं, तो हरी खाद के रूप में सनई और ढैंचा के फसल की बोवनी करें। यह फसल जब दो या तीन फीट की हो जाए, तो जमीन में पलट दें, जिससे सड़कर हरी खाद बन जाएगी, इससे जमीन को नाइट्रोजन के रूप में पोषक तत्व मिलेंगे। मूंग की फसल को भी किसान पलट सकते हैं, जो बारिश में हरी खाद बन जाएगी।
किसानों हो होना होगा जागरूक
जिस प्रकार शरीर को पोषक तत्व, ऑक्सीजन की जरूरत होती है, वैसी ही जरुरत जमीन के लिए होती हैं। लगातार खेती करने से जमीन को धूप, हवा नहीं मिल पाने से अगली फसल में फंगस सहित अन्य कीट लगने लगते हैं। यदि किसान लगातार खेती कर रहे हैं, तो गोबर खाद, हरी खाद का उपयोग करना होगा, जिससे जमीन की ऊर्वरा क्षमता बनी रहे। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से जमीन खराब हो रही है।
धनपाल सिंह तोमर, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, बीना