वैज्ञानिकों ने धान फसल हेतु दी सलाह, किसानों को रखना होगा सावधान, करने होंगे उपाय
सिवनी. धान का गंधी बग कीट या ईयरहेड बग एक महत्वपूर्ण कीट है। यह कीट धान की फसलों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है, क्योंकि यह सीधे धान के दानों के भीतर विकसित हो रहे चावल के दानों को खाता है, जिससे उपज में भारी नुकसान होता है। वर्तमान में धान की फसलों में गंधी कीट का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह बघेल ने बताया कि इस कीट के चलते धान की पैदावार में काफी नुकसान होता है। इस संबंध में वैज्ञानिक डॉ. निखिल कुमार सिंह एवं इंजी. कुमार सोनी द्वारा ग्राम बगराज के किसानों के प्रक्षेत्र में भ्रमण कर जानकारी ली। बताया कि गंधी कीट के शरीर में से हमेशा बहुत ही गंदी गंध आती है, जिसके चलते इसका नाम गंधी कीट पड़ा। गंधी कीट को राइस इयरहेड बग भी कहते है। इस कीट से ग्रशित धान के खेत से दूर से ही गंध आती है। शुरुआत में यह कीट कोमल पत्तियों और तनों का रस चूसते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। सामान्यत: यह कीट धान में बाली निकलते समय आक्रमण करता है और धान की बालियों में दूध को पी जाते हैं। ऐसा करने से धान की बालियों में लगे दानें सूख जाते हैं और उनमें दाने नहीं बनते हैं। बालिया बदरंग हो जाती हैं। इस कीट की एक मादा 250 से 300 अंडे देती है। गंधी कीट की संख्या तेजी से बढऩे के पीछे सबसे बड़ा कारण यही होता है। मादा कीट धान के पत्तियों पर ही अंडे दे देती हैं। धान में जब बालियां लगने लगती हैं, उसी समय ये कीट प्रजनन करते हैं और थोड़े ही दिन में इन अंड़ों से बच्चे निकल आते हैं। इस तरह इस कीट का प्रकोप काफी तेजी से बढ़ता है।
हो सकता है भारी नुकसान
वैज्ञानिकों ने बताया कि गंदी गंध के साथ-साथ धान की बालियों में दाने सूखने लगें तो समझें की कीट का आक्रमण हो चुका है। ऐसे में इसके प्रबंधन का तत्काल उपाय करें अन्यथा काफी नुकसान हो सकता है। वे धान के विकसित हो रहे दानों में अपनी सुई जैसे मुखांग डालते हैं और भ्रुणपोष को खाते हैं, जिससे सीधा नुकसान होता है। इस भोजन गतिविधि के परिणामस्वरूप धान का दाना खाली या सिकुड़ा हुआ हो जाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों कम हो जाती है।
समस्या से बचाव हेतु रासायनिक नियंत्रण
धान के खेतों से जब गंध आने लगे तो किसानों को देर नहीं करनी चाहिए। जिन किसानों के खेतों से गंध आने शुरू हो गए हैं उन किसानों को यह समझ लेने चाहिए कि गंधी कीट उनके खेत में प्रवेश कर चुके हैं। इससे बचने और कीटों के रोकथाम के लिए किसान इमिडाक्लोरपिड 17.8 एसएल / 1 मिलिलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें या थियामेथोक्सम की 1 ग्राम मात्रा प्रति दो लीटर पानी में घोलकर वर्तमान में लगी धान की फसल में बाली निकलते समय फसल को गंधी बग या इयरहेड बग कीट से फसलों को बचाव करें।