- डीपीसी ने कहा मुझे बीआरसीसी, जनशिक्षक ने नहीं बताया
सिवनी. शासकीय प्राथमिक शाला मुंगवानी खुर्द की प्रधानपाठक पिछले डेढ़ साल से चिकित्सा अवकाश (मेडिकल लीव) पर हैं। लेकिन उन्होंने इतने समय में भी सहयोगी शिक्षिका को प्रधानपाठक का प्रभार नहीं दिया है। इससे शिक्षिका को विद्यालय के बैंक खाते से आहरण का अधिकार नहीं मिल पाया है। उन्हें आवश्यक सामग्री की खरीदी तक निजी खर्चे पर करनी पड़ रही है। यह हालात विकासखण्ड सिवनी के मुंगवानी खुर्द प्राथमिक शाला के हैं। इस मामले की खबर डीपीसी को भी नहीं है। उन्होंने कहा कि बीआरसीसी या जनशिक्षक ने इतने समय में भी यह बात मुझे नहीं बताई।
डीपीसी को ‘पत्रिका’ ने जानकारी दी कि मुंगवानी खुर्द प्राथमिक शाला की प्रधानपाठक डेढ़ साल से चिकित्सकीय अवकाश पर हैं, लेकिन उन्होंने शिक्षिका को चार्ज नहीं दिया है। तब डीपीसी ने भी हैरानी और विभागीय व्यवस्था की खामियों को स्वीकारते कहा कि मुझे बीआरसीसी या जनशिक्षकों ने इस मामले में कुछ नहीं बताया। तुरंत उन्होंने जनशिक्षक से मोबाइल पर पूछताछ किया और कहा कि डेढ़ साल से ये स्थिति है, तब भी क्यों नहीं बताया। डीपीसी ने कहा कि एक सप्ताह में प्रधानपाठक से शिक्षिका को चार्ज दिलाया जाए और यह भी पूछा कि क्या प्रधानपाठक नो वर्क नो पे के तहत काम कर रही हैं। पूरी रिपोर्ट मांगी है।
मुख्यालय से 22 किमी दूर मुंगवानी खुर्द प्राथमिक शाला जर्जर भवन में होने के कारण रसोईघर में लगाई जा रही है। यह भवन भी टपक रहा है। ऐसे हालात में भी शिक्षिका सरिता मिश्रा नियमित वहां दर्ज 12 बच्चों को पढ़ाने पहुंचती हैं। शिक्षिका ने कहा कि प्रधानपाठक के लम्बे समय से चिकित्सकीय अवकाश के कार्य वर्तमान में यह एक शिक्षकीय शाला होकर रह गई है।
लगातार कम हो रहे हैं बच्चे-
शिक्षिका सरिता मिश्रा ने बताया कि जर्जर स्कूल भवन होने से कक्षा रसोईघर में लगाना पड़ रहा है। यहां भी बरसात का पानी टपकता है। ऐसे हालात को देखकर अभिभावक भी बच्चों को यहां से निकालने की बात कहने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस सरकारी स्कूल की बदहाली के कारण ही प्राइवेट स्कूलों में यहां के बच्चे प्रवेश ले रहे हैं। जब शासन-प्रशासन और शिक्षा विभाग ही इस भवन की हालत सुधारने और पर्याप्त शिक्षकों को रखने में ध्यान नहीं दे रहा है, तो बच्चों को यहां रखने से क्या मतलब। कहा कि जल्द ही यदि व्यवस्था सुधार नहीं हुआ तो कई और अभिभावक बच्चों को यहां से निकाल सकते हैं।
इनका कहना है -
यह बात सही है कि डेढ़ साल से जो प्रधानपाठक चिकित्सा अवकाश पर हैं, उन्होंने अब तक चार्ज नहीं दिया है। इस मामले में जनशिक्षक से भी जानकारी ली है। यदि एक सप्ताह में प्रधानपाठक चार्ज नहीं देंगी, तो उनके विरूद्ध नियम अनुसार कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।
एमके बघेल, डीपीसी सिवनी