खाद्य अधिकारियों ने दीपावली पर 1375 किलो दूषित मावा नष्ट किया, उसमें से 1360 किलो बाजार में बिका!
सीकर. दीपावली पर नकली मावे पर कार्रवाई के नाम पर खाद्य सुरक्षा विभाग जानलेवा और विस्फोटक घोटाले के आरोपों से घिर गया है। दरअसल, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने दीपावली से तीन दिन पहले 1375 किलो दूषित व बदबूदार मावा जब्त कर उसे नष्ट करने की रिपोर्ट पेश की है, लेकिन जब पत्रिका ने पड़ताल की तो मौके पर एक टिन (पीपा) सहित बमुश्किल 15 किलो मावा ही मिला। अब चूंकि अधिकारियों ने उस दिन एक पिकअप से मावा जब्त करने का फोटो भी पेश किया है और मावा पूरा नष्ट भी नहीं हुआ, ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिरकार वह जानलेवा मावा गया कहां? कहीं बाजार में बिककर लोगों के पेट तक तो नहीं पहुंच गया? सांठगांठ से घोटाले की आशंका इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि अधिकारियों ने खराब मावा जिन दो फर्मों का बताया है, असल में उनका कारोबार भी मावे की बजाय तेल बेचने का मिला है। लिहाजा पूरा मामला बड़े और जानलेवा घोटाले के संदेह में घिर गया है।
चार खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने मावा रसीदपुरा टोल प्लाजा पर 17 अक्टूबर को शाम 5.30 बजे जब्त करना बताया। इसके बाद उसे शाम 6.50 बजे अंधेरे में नानी बीहड़ के पानी में नष्ट किया गया। इसका एक वीडियो भी बनाया गया, जिसमें समय के साथ एक टिन से मावा निकालकर पानी में बहाते दिखाया गया। इसकी जानकारी पर पत्रिका की सहयोगी टीम अगले दिन सुबह ही मौके पर पहुंची तो वहां महज एक पीपा व करीब 10 किलो मावा पानी में दिखा। ऐसे में सवाल है कि क्या एक पीपे में 1375 किलो मावा समा गया?
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने खराब मावा रॉयल ट्रेडिंग व एमडी उद्योग का बताया। जबकि पत्रिका की पड़ताल में राजश्री रोड स्थित इन दोनों फर्मों का कारोबार ही तेल का होना सामने आया है। पत्रिका ने जब फर्म मालिक से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके परिवार में ही किसी ने मावे का कारोबार नहीं किया। ऐसे में खाद्य सुरक्षा अधिकारी असली फर्म को बचाने के लिए दूसरी फर्म के झूठे नाम लिखने के आरोप व सवालों में भी घिर गए हैं।
खाद्य सुरक्षा के नियमों के अनुसार मावे सरीखी गीली वस्तुओं को गड्ढे में मिट्टी मिलाते हुए नष्ट किया जाता है, लेकिन साक्ष्य के लिए तैयार वीडियो में मावे को पानी में बहाते दिखाया गया है। लिहाजा यहां भी नियमों का उल्लंघन किया गया।
पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी मात्रा में मावा जब्त करने के बाद उसे नष्ट नहीं किया गया तो वह गया कहां? ऐसे में संभावित जवाब एक ही सामने आता है कि वह बाजार में ही खपाया गया। और यदि सच में ऐसा हुआ है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूषित खाद्य से आमजन की सुरक्षा करने वाले विभाग ने आमजन की जान से कितना बड़ा खिलवाड़ किया है।
17 अक्टूबर को हुई 1375 किलो मावे की कार्रवाई चार खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के नाम दर्ज की गई है। इनमें दोनों फर्मो से फूलसिंह बाजिया द्वारा 400, सुरेश कुमार शर्मा द्वारा 300, नंदराम द्वारा 325 व महमूद अली द्वारा 360 किलो मिल्क प्रोडक्ट नष्ट करना बताया गया है। लिहाजा इसे लक्ष्य पूरा करने की खानापूर्ति के रूप में भी देखा जा रहा है।
इस संबंध में पत्रिका ने चारों अधिकारियोें का पक्ष जानना चाहा तो फूलसिंह बाजिया व नंदराम का मोबाइल स्विच ऑफ मिला। सुरेश कुमार का मोबाइल पहुंच से बाहर था, महमूद अली ने फोन नहीं उठाया।
-यदि बाकी मावा गड्ढे में नष्ट किया गया है तो उसके साक्ष्य व फर्द रिपोर्ट कहां है?
-अगर पूरा मावा नष्ट नहीं किया गया तो वह कहां गया?
-विभाग ने मावा फर्म की जगह तेल फर्म का झूठा नाम क्यों लिखा?
-सूत्रों की मानें तो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों पर मिलावट के खिलाफ अभियान में ढिलाई बरतने से उच्च अधिकारी नाराज थे। ऐसे में कहीं कार्रवाई से बचने के लिए ये कार्यवाही नहीं की गई?
-यदि अधिकारियों ने दूषित मावा पकड़ा भी तो क्या आरोपी से पूछताछ कर उसके बिक्री स्थलों से मावा जब्त किया गया?
-मिलावट के खिलाफ अभियान की जानकारी मीडिया को भी दी जा रही थी, लेकिन इतना मावा नष्ट किया गया तो उसकी जानकारी मीडिया से क्यों छुपाई गई?
पत्रिका व्यू: उच्च स्तरीय जांच हो शहरवासियों के स्वास्थ्य व बड़े भ्रष्टाचार के संदेह से जुड़ा ये मामला काफी गंभीर है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सत कार्रवाई होनी भी होनी चाहिए।
मुझे मावा नष्ट करने की रिपोर्ट तो दी थी, लेकिन ये मावा गया इसकी पूरी जानकारी नहीं है। कल देखकर ही बता सकता हूं।
अशोक महरिया, सीएमएचओ, सीकर।