खास खबर

समुद्र का स्तर अनुमान के अनुसार बढ़ रहा है – आगे और बड़ा खतरा

समुद्र का स्तर वास्तव में बढ़ रहा है और दशकों पहले किए गए अनुमान काफी हद तक सही साबित हुए।

2 min read
Aug 24, 2025

जयपुर। सदियों से इंसान समुद्र के स्तर को समझने के लिए तटीय निशानों और ज्वार मापक यंत्रों पर निर्भर था। लेकिन सैटेलाइट्स आने के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई। 1990 के दशक से अंतरिक्ष में लगे यंत्र समुद्र की सतह की ऊंचाई का सटीक और वैश्विक रिकॉर्ड दे रहे हैं। इन आंकड़ों से पता चला कि समुद्र का स्तर वास्तव में बढ़ रहा है और दशकों पहले किए गए अनुमान काफी हद तक सही साबित हुए।

सैटेलाइट से मिली नई जानकारी
ट्यूलन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टॉर्ब्जॉर्न टॉर्नक्विस्ट ने कहा – “जलवायु संबंधी अनुमान सही हैं या नहीं, यह तब ही पता चलता है जब हम कई दशकों तक हुए बदलावों को उनसे मिलाकर देखें। आश्चर्य की बात यह है कि शुरुआती मॉडल काफी साधारण थे, फिर भी उन्होंने सही भविष्यवाणी की।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह इस बात का सबसे अच्छा सबूत है कि इंसानी गतिविधियों से जलवायु बदल रही है और हम इसे पहले से समझते रहे हैं।

हर जगह समान नहीं बढ़ता समुद्र स्तर
प्रोफेसर सॉन्के डैंगेनडॉर्फ ने बताया कि समुद्र का स्तर हर जगह समान नहीं बढ़ता। अलग-अलग इलाकों में फर्क होता है। इसके लिए नासा और एनओएए के आंकड़े बेहद जरूरी हैं, ताकि तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए सही योजना बनाई जा सके।

तेजी से बढ़ रहा है समुद्र स्तर
1990 के दशक में जब सैटेलाइट से निगरानी शुरू हुई, तो समुद्र का स्तर हर साल करीब 3 मिलीमीटर (एक-आठवां इंच) बढ़ रहा था। बाद में वैज्ञानिकों ने पाया कि यह रफ्तार और तेज हो गई। अक्टूबर 2024 में नासा ने घोषणा की कि अब यह दर तीन दशकों में दोगुनी हो चुकी है।

अनुमान और वास्तविकता में समानता
1996 में आईपीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल) ने अनुमान लगाया था कि 30 साल में समुद्र स्तर करीब 8 सेंटीमीटर बढ़ेगा। वास्तव में यह 9 सेंटीमीटर बढ़ा। यानी अनुमान और हकीकत लगभग बराबर रही।

हालाँकि शुरुआती मॉडल बर्फ की चादरों (ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका) के पिघलने का असर कम आंक गए थे। उस समय गर्म होते महासागरों के अंटार्कटिक बर्फ पर प्रभाव को ठीक से नहीं समझा गया था।

समुद्र स्तर बढ़ने के कारण

-समुद्र के पानी का गर्म होकर फैलना और छोटे ग्लेशियरों का पिघलना सही अनुमानित हुआ।
-लेकिन ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ की भूमिका को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। हकीकत में इनकी वजह से समुद्र स्तर में लगभग एक चौथाई बढ़ोतरी हुई।
-भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन भी समुद्र में पानी बढ़ाने का बड़ा कारण निकला।

शुरुआती गलती और सीख
शुरुआती रिपोर्ट्स में माना गया था कि बर्फ की चादरों में बदलाव धीरे-धीरे होगा, इसलिए उसे नजरअंदाज कर दिया गया। यह गलत साबित हुआ। बाद की रिपोर्ट्स में जब इसे शामिल किया गया तो अनुमान काफी बढ़ गए।

भविष्य की चुनौती
हालांकि शुरुआती मॉडल कुछ गलत मान्यताओं पर आधारित थे, फिर भी उनके अनुमान काफी हद तक सही निकले। इससे आज के उन्नत मॉडल्स पर भरोसा बढ़ता है। लेकिन असली चुनौती आगे है – बर्फ की चादरों के भविष्य को लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है और इंसानी गतिविधियों से निकलने वाला कार्बन इस पर बड़ा असर डालेगा।

वैज्ञानिकों का मानना है कि लगातार निगरानी और सटीक आकलन जरूरी है, ताकि तटीय इलाकों में रहने वाली आबादी भविष्य के खतरों से निपटने के लिए तैयार रह सके। यह अध्ययन Earth’s Future नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

Published on:
24 Aug 2025 05:51 pm
Also Read
View All

अगली खबर