जयपुर. बसंत आते ही परिचित आवाजें लौट आती हैं। कई महीने दूर रहने के बाद पक्षियों की चहचहाहट पार्कों को भर देती है। लोग इन आवाज़ों का आनंद तो लेते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इन पक्षियों की लंबी यात्रा कहां से शुरू होती है। यह कहानी मध्य अमेरिका के घने वनों […]
शोधकर्ताओं ने eBird के डेटा से पक्षियों की साप्ताहिक आवाजाही का पता लगाया। लाखों अवलोकनों ने मौसम के हिसाब से साफ़ पैटर्न दिखाए।
अध्ययन में दो क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण पाए गए:
लेकिन दुःख की बात है कि दोनों क्षेत्रों का 15 साल में एक-चौथाई हिस्सा नष्ट हो चुका है, जिसकी सबसे बड़ी वजह अवैध पशुपालन है।
ये वन क्षेत्र लगभग वर्जीनिया राज्य जितना बड़ा है।
यहाँ जगुआर, स्कार्लेट मकाओ और टैपिर जैसे बड़े जीव भी रहते हैं। प्रवासी पक्षी उत्तर की ओर जाने से पहले यहीं ऊर्जा जुटाते हैं।
WCS के जेरेमी रदाकोव्स्की कहते हैं:
“यदि हम मध्य अमेरिका के अंतिम महान वनों को खो देते हैं, तो हम अपने उत्तर अमेरिकी वनों के पक्षियों को भी खो देंगे।”
स्थानीय और आदिवासी समुदाय:
इनका काम प्रवासी पक्षियों के लिए बेहद ज़रूरी है।
सीमित संसाधनों के बावजूद वे लगातार इन वनों की रक्षा कर रहे हैं।
शोध में यह भी बताया गया कि ये वन उत्तर के किन इलाकों से जुड़े हैं। ये क्षेत्र कहलाते हैं:
इन्हें वैज्ञानिक “सिस्टर लैंडस्केप्स” कहते हैं, क्योंकि वही पक्षी हर साल इनके बीच यात्रा करते हैं।
उदाहरण:
जो पक्षी गर्मियों में न्यू इंग्लैंड के जंगलों में गाता है, वही कुछ महीनों बाद Selva Maya में आराम करता मिला सकता है।
ये पांच महान वन उत्तर अमेरिका के पूर्वी वनों के उष्णकटिबंधीय साथी की तरह हैं।
जैसी प्रजातियां सर्दियों और प्रवास के दौरान इन्हीं वनों पर निर्भर रहती हैं।
हर साल इनका उत्तर लौटना इन वनों के बचने पर ही निर्भर है।
अन्ना लेल्लो स्मिथ कहती हैं:
“मध्य अमरीका में हम जितना भी जंगल बचाते हैं, उसका असर पूरे महाद्वीप के पक्षियों और लोगों पर पड़ता है।” यह अध्ययन Biological Conservation जर्नल में प्रकाशित हुआ है।