- श्रीगंगानगर.कृषि प्रधान श्रीगंगानगर जिले में मौसम से ज्यादा चिंता इस समय हवा की गिरती गुणवत्ता को लेकर है। सुबह दिखने वाला धुंधलापन अब खेतों की नमी का परिणाम नहीं, बल्कि पराली जलने से उठे धुएं का असर है। खेतों में फसल अवशेष जलाने की बढ़ती घटनाओं ने जिले की हवा को गंभीर रूप से प्रदूषित कर दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नई दिल्ली सैटेलाइट इमेजों के माध्यम से इसकी नियमित मॉनिटरिंग कर रहा है। आईसीएआर की ताजा रिपोर्ट ने जिले में हवा में फैल रहे धुएं की असल तस्वीर सामने रखी है।
- रिपोर्ट के अनुसार 14 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच जिले में पराली जलाने की 242 घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें से 230 का भौतिक सत्यापन किया गया और 44 स्थानों पर पराली जलाने की पुष्टि हुई है। सबसे चिंता की बात यह है कि पराली जलाने पर प्रतिबंध और जुर्माने की व्यवस्था होने के बावजूद अब तक एक भी किसान पर कार्रवाई नहीं हुई।
हवा जहरीली, दृश्यता प्रभावित
- जिले के कई गांवों में पराली का धुआं हवा में मिलकर लोगों का सांस लेना मुश्किल कर रहा है। सुबह और शाम के समय गांवों में धुंधलापन इतना बढ़ गया है कि दृश्यता भी प्रभावित होने लगी है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि पराली जलाने से न सिर्फ हवा जहरीली होती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी नष्ट होती है, जिससे भविष्य में उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है।
कलक्टर ने कार्रवाई के निर्देश दिए
- जिला कलक्टर ने सभी उपखंड अधिकारियों को निर्देशित किया है कि पराली जलाने की पुष्टि वाले प्रत्येक स्थान पर नियमों के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने किसानों से अपील की कि पराली जलाने की बजाय कम्पोस्टिंग या अन्य पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाएं।
जुर्माना तय, कार्रवाई नहीं
- कृषि विभाग ने पराली जलाने पर जुर्माना भी तय कर रखा है
- दो एकड़ से कम वाले किसानों पर 500 रुपए
- दो से पांच एकड़ वाले पर 10 हजार रुपए
- पांच एकड़ से अधिक पर 30 हजार रुपए प्रति घटना
श्रीगंगानगर की हवा बेहद खराब, एक्यूआइ 386 पर पहुंचा
- इलाके मेें ठंड बढऩे के साथ ऊपरी हवा गर्म और निचली हवा ठंडी होने से धुआं, धूल और हानिकारक गैसें नीचे ही अटक जाती हैं, जिसके कारण प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। शुक्रवार रात नौ बजे शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 386 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार 201 से ऊपर का स्तर खराब वायु गुणवत्ता दर्शाता है,जबकि 301 से 400 तक का एक्यूआइ बेहद खराब श्रेणी में माना जाता है। हवा की यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
- कुल दर्ज घटनाएं: 242
- भौतिक सत्यापन: 230
- पुष्टि: 44
- स्थानवार:
- श्रीगंगानगर: 1
- सूरतगढ़: 14
- विजयनगर: 25
- अनूपगढ़: 4
पराली का धुआं अस्थमा और हृदय रोगियों के लिए घातक
- पराली के धुएं में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 कण श्वसन व हृदय रोगों को बढ़ाने वाले सबसे खतरनाक तत्व हैं। बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा से पीडि़त लोग इसके सबसे ज्यादा शिकार बनते हैं। समय रहते पराली जलाने पर नियंत्रण नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में श्रीगंगानगर का वायु प्रदूषण स्तर और गंभीर हो सकता है।
- डॉ. पवन सैनी, उपाचार्य, मेडिकल कॉलेज
- जिले में 44 स्थानों पर पराली जलाने की पुष्टि के बाद कार्रवाई उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित टीमों को करनी है।
- डॉ.सतीश कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार