सत्यनारायण 1997 में जेएनटी विश्वविद्यालय हैदराबाद से बी-टेक की डिग्री हासिल की थी। मां रिटायर्ड नर्स, भाई मुबई में बैंक ऑफिसर हैं।
सॉटवेयर इंजीनियर, कई नामी कपनियों में काम किया। लेकिन, बीते सालों में मानसिक संतुलन ऐसा बिगड़ा कि घर छोड़कर भटकने लगा। आखिर याददाश्त लौटी तो घर-परिवार के बारे में पता चला। परिवार तक सूचना पहुंची और 9 साल बाद घर वापसी हो पाई। आंध्रप्रदेश मूल का परिवार युवक को लेकर उदयपुर आया। उदयपुर के अपना घर आश्रम में डेढ़ माह पहले युवक सत्यनारायण को लाया गया था। वह प्रतापनगर चौराहे पर भटकता मिला था। पुलिस की सूचना पर आश्रम की टीम ने उसे रेस्क्यू किया था। यहां डेढ़ माह तक उपचार और काउंसलिंग के बाद सत्यनारायण की याददाश्त लौट आई। उसने अपने परिवार की पूरी जानकारी दे दी, वहीं अपनी मां का मोबाइल नबर भी बता दिया। परिवार से वीडियो कॉल पर रूबरू हुए तो सभी भावुक हो उठे। भाई श्रीनिवास अपने भाई को लेने के लिए आंध्रप्रदेश से उदयपुर पहुंचा। आश्रम प्रभारी सुल्तान सिंह ने परिवार की पूरी जानकारी लेकर सत्यनारायण से मिलाया। दोनों भाई सालों बाद मिलकर भावुक हो उठे।
सत्यनारायण 1997 में जेएनटी विश्वविद्यालय हैदराबाद से बी-टेक की डिग्री हासिल की थी। मां रिटायर्ड नर्स, भाई मुबई में बैंक ऑफिसर हैं। उसकी शादी के बाद किसी वजह से तलाक हो गया। इसके बाद मानसिक संतुलन बिगडऩे पर घर छोड़ दिया था। आश्रम सचिव गोपाल कनेरिया ने दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करके विदा किया।