उदयपुर के वल्लभनगर में है सरजणा बांध, 25 साल में 10वीं बार चली चादर, खुशी से खिले क्षेत्रवासियों के चेहरे
वल्लभनगर (उदयपुर). क्षेत्र में मानसून मेहरबान होने के बाद पानी की लगातार आवक से वल्लभनगर का सबसे बड़ा बांध सरजणा सोमवार देर शाम छलक गया। सबसे बड़ी रपट पर चादर चलने लग गई। बांध भरने की सूचना पर पहले आस-पास के ग्रामीण नजारे को देखने एकत्रित हो गए। उदयसागर के गेट खोलने पर सरजणा बांध में पानी की लगातार आवक होने से बांध की चादर चली। बांध की कुल भराव क्षमता 20 फीट के करीब है, लेकिन बांध के साढ़े उन्नीस फीट होते ही रपट से चादर चलने लग जाती है। बांध छलकने पर सोमवार को नवानिया, रुण्डेडा और वल्लभनगर के किसानों सहित लोगों ने जल देवता की पूजा की। प्रसाद वितरित कर लोगों का मुंह मीठा कराया। सिंचाई विभाग के कार्यालय द्वारा जनहित को देखते हुए ग्रामीणों को नदी, पुलिया और डूब क्षेत्र में नहीं जाने की चेतावनी जारी की है। बांध भर जाने से वल्लभनगर, नवानिया, रुण्डेडा, कीकावास, नेतावाला, तारावट, धमानिया सहित गांवों के किसानों में खुशी की लहर है। बांध से निकलने वाली नहरों से इन गांवों के खेतों में सिंचाई होती है। बांध में पानी की भराव क्षमता 1076 एमसीएफटी है। बता दें कि बांध की रपट एक किमी के करीब है। जो राजस्थान की सबसे लंबी रपट वाला बांध माना जाता है। बांध के छलकने के बाद बेड़च नदी से इसका पानी वल्लभनगर तहसील क्षेत्र में फैला हुआ मोरजाई, बड़गांव बांध में जाता है, जो 25 फ़ीट भराव क्षमता वाला है। यह बांध 25 साल में 10 वीं बार छलका।
सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता जगदीश डांगी ने बताया कि 25 वर्षों में यह बांध 10वीं बार ओवरफ्लो होकर छलका है। पिछले साल यह बांध जुलाई माह में ओवरफ्लो हुआ था।
वल्लभनगर बांध की रपट चलने के बाद बांध का पानी बेड़च नदी से मोरजई, बड़गांव बांध में जाता है। बड़गांव के भरने से चित्तौड़गढ़ जिले के कई गांवों को नहरों द्वारा सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है। बड़गांव बांध भर जाने के बाद इसका पानी बेड़च नदी से बनास नदी में जाता है। जो भीलवाड़ा के पास जाकर बनास में मिलता है। बड़गांव मोरजाई बांध का फैलाव उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील में है, लेकिन इसका नियंत्रण चित्तौड़ जिले के अधीन आता है।