mp news: प्रशासन और पुलिस ने डीजे संचालकों को एक सप्ताह का समय दिया है। डीजे का संचालन रात 10 बजे के बाद बिल्कुल प्रतिबंधित रहेगा।
mp news: अब डीजे वाले बाबू तेज आवाज में साउंड नहीं बजा सकेंगे। विवाह समारोह में 75 डेसिबल से ज्यादा के साउंड नहीं बज सकेगा। इससे ज्यादा आवाज करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही संचालकों को अब डीजे में डेसिबल मीटर लगाना अनिवार्य हो गया है। इसके लिए प्रशासन और पुलिस ने डीजे संचालकों को एक सप्ताह का समय दिया है। साथ ही लैपटॉप पर भी डेसिबल इग्रेट करने वाली एप्लीकेशन इंस्टॉल करना होगी, ताकि डीजे वाले बाबू को भी इसकी जानकारी रहे कि वह कितने डेसिबल पर डीजे बजा रहा है।
साथ ही वाहन पर भी लिमिट संबधी जानकारी वाला सूचना पत्र लगाया जाएगा, ताकि बारात में शामिल लोगों को भी इसके बारे में जानकारी मिल सके और वे जबरदस्ती कर ऊंची आवाज में बजाने की जिद न करें। इस तरह के निर्देश 150 डीजे संचालकों के साथ हुई बैठक में एसडीएम अनुकुल जैन व एएसपी नीतेश भार्गव ने दिए हैं।
एएसपी नीतेश भार्गव ने बताया कि सामान्य तौर पर सुनने की सीमा 0 से 180 डेसिबल तक है, जबकि 85 डेसिबल से अधिक का शोर मनुष्य के लिए हानिकारक है। डेसिबल को लेकर अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नियम हैं। आवासीय, व्यावसायिक, वाणिज्यिक और शांत सबसे कम 45 डेसिबल शांत स्थानों के लिए है। अधिकतम 75 डेसिबल प्रशासन ने तय किया है, परंतु आमतौर पर कार्यक्रम, रोडशो में 150 डेसिबल से ज्यादा साउण्ड किया जाता है। जबकि प्रशासन 10 से 75 डेसिबल तक के साउंड सिस्टम की अनुमति देता है।
-डीजे का संचालन रात 10 बजे के बाद बिल्कुल प्रतिबंधित रहेगा।
-डीजे का ध्वनि स्तर निर्धारित डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित सीमा है।
-डीजे संचालक सार्वजनिक स्थलों, अस्पतालों, स्कूलों और आवासीय इलाकों के आसपास विशेष ध्यान रखें और वहां ध्वनि नियंत्रण का पालन करें।
-निर्देशों का उल्लंघन करने पर संबंधित डीजे संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें डीजे उपकरण जप्त करना और जुर्माना लगाना शामिल होगा। ज्यादा ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक
डॉ. विजय गर्ग, विशेषज्ञ का कहना है कि 60 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक है। वहीं 70 से 80 डेसिबल ध्वनि के बीच लगातार रहने वाला व्यक्ति बहरेपन का शिकार हो सकता है। वहीं यदि कोई गर्भवती लगभग चार महीने तक 120 डेसीबल ध्वनि के बीच रहे तो बच्चा बहरा पैदा होने की आशंका रहती है। लगातार तेज ध्वनी से मनुष्य चिड़चिड़ा हो सकता है मानसिक संतुलन भी खो सकता है। हार्ट पेशेंट 150 से ज्यादा डेसिबल की आवाज सहन करने की स्थिति में नहीं रहता और उसकी हार्ट बीट बढ़ सकती है, उसकी मौत भी हो सकती है।
डीजे संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें डीजे में डेसिबल मीटर के साथ लेपटॉप पर डेसिबल इग्रेट करने वाली एप्लीकेशन डाउनलोड करने और वाहन पर लिमिट लिस्ट व प्रशासन के निर्देश चस्पा करना आवश्यक है। इसके निर्देश दिए हैं। आने वाले समय में लापरवाही पाई गई तो सत कार्रवाई करेंगे।- नीतेश भार्गव, एएसपी