Mahakal Ki Sawari 2025: सावन के महीने में महाकाल की सवारी की अनूठी परम्परा राजशाही जमाने से है, इस परम्परा को राजकीय उत्सव बनाने का श्रेय परमार वंश के महान शासक राजा भोज को जाता है, आप भी जानें महाकाल की सवारी से संबंधित रोचक और ऐतिहासिक फैक्ट्स...
Mahakal Ki Sawari 2025: राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उज्जैन की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विरासत का जीवंत प्रमाण है। एक दौर था, जब सिंधिया और होलकर महाराज सवारी में लाव-लश्कर, सेना के साथ सम्मिलित होते थे। सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी श्रद्धा और भव्यता से निभाई जा रही है।
वर्षों से सवारी के साथ राजा-महाराजा की पौषाक धारण कर सबके आकर्षक का केंद्र बनने वाले स्वामी दिलमिलाके यानी पं. दिनेश रावल ने बताया कि इतिहासकारों और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, ग्यारहवीं शताब्दी की पांडुलिपियों में महाकाल सवारी का उल्लेख मिलता है।
परमार वंश के महान शासक राजा भोज ने इस परंपरा को एक राजकीय उत्सव का रूप दिया था। उन्होंने सवारी में नटों, लोक कलाकारों, संगीतकारों और विभिन्न लोक परंपराओं को सम्मिलित किया। राजा भोज स्वयं भी पालकी के आगे अपने लाव-लश्कर के साथ चलकर भगवान महाकाल को राजकीय सम्मान प्रदान करते थे। सवा दो सौ साल पहले, मराठा शासनकाल में सिंधिया वंश के संस्थापक राणौजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और भगवान महाकाल की सवारी परंपरा को नवजीवन दिया।
उन्होंने इसमें नए रथों, गजराजों और सजीव लोक परंपराओं को जोड़ा, जिससे यह आयोजन और अधिक भव्य बन गया। राणौजी स्वयं भी सवारी में शामिल होते थे और पालकी के आगे चलकर भगवान महाकाल को राजाधिराज का दर्जा देते थे। इसके बाद स्वतंत्रता पूर्व काल तक सिंधिया और होलकर राजवंशों के प्रमुख महाकाल की सवारी में राजकीय रूप से सम्मिलित होते रहे। वे पालकी के आगे चलकर यह संकेत देते थे कि राज्य का वास्तविक शासक स्वयं महाकालेश्वर ही हैं।
--इस साल 2025 में 11 जुलाई से सावन मास आरंभ, यहां देखें जुलाई से अगस्त तक महाकाल सवारी की पूरी डेट लिस्ट…
जुलाई 2025 (July 2025) में महाकाल सवारी
अगस्त 2025 (August 2025) में महाकाल सवारी
बता दें कि सावन-भादौ के महीने में बाबा महाकाल भक्तों के साथ स्वयं भी उपवास रखते हैं। इस दौरान उपवास रखे हुए ही वे अपने भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकल पड़ते हैं। महाकाल की सवारी में शामिल होने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ता है।