sawan 2025: 11 जुलाई से सावन मास की शुरुआत होने वाली है। इस दिन से 1 महीने तक भगवान शंकर के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहेगा। इसी बीच देश के सबसे बड़े शिव मंदिर में से एक महाकालेश्वर में प्रवेश को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। (mahakal darshan entry update)
sawan 2025: श्रावण और भाद्रपद मास में महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनार्थ उमड़ने वाली भारी भीड़ को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार, सावन माह के प्रत्येक सोमवार, नागपंचमी तथा अन्य प्रमुख पर्वों पर लाखों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। (mahakal darshan entry update)
इस वर्ष सावन और भादौ माह में आम श्रद्धालुओं को महाकाल लोक स्थित नंदी द्वार (nandi dwar) से प्रवेश दिया जाएगा। आम श्रद्धालु नंदी द्वार से प्रवेश कर धार्मिक अनुशासन और सुरक्षा निर्देशों के अनुसार दर्शन करेंगे। निकास के लिए अलग द्वार का प्रावधान रहेगा, जिससे दर्शन व्यवस्था में गति बनी रहे। वीआइपी, आरक्षित टिकट धारक और पूजन-अभिषेक कराने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग मार्ग निधर्धारित किया जाएगा।
इस व्यवस्था के तहत महाकाल लोक की भव्यता और विशाल परिसर का उपयोग श्रद्धालुओं को दर्शन के पूर्व धार्मिक अनुभव और सुविधा देने के लिए किया जाएगा। दर्शन के पूर्व भक्तजन महाकाल लोक के अद्भुत शिल्प, नंदी द्वार, शिव लीलाओं पर आधारित मूर्तियों और चित्रण का भी आनंद ले सकेंगे। मंदिर प्रबंध समिति एवं जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे प्रशासन द्वारा निधर्धारित मार्ग और दिशा निर्देशों का पालन करें ताकि सभी को सहज, सुगम और शांतिपूर्ण दर्शन अनुभव प्राप्त हो सके।
महाकाल मंदिर में भिलाई के एक भक्त ने गुप्त दान के रूप में यह पालकी एक वर्ष पहले भेंट की थी लेकिन यह उपयोग में नहीं लाई जा सकी। इस वर्ष नई पालकी में बाबा नगर भ्रमण करेंगे। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया श्रावण-भाद्रपद मास की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार भगवान महाकाल चांदी की नई पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे। पिछले वर्ष पुरानी पालकी को पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने अनफिट घोषित किया था।
इसके बाद मंदिर समिति ने नवंबर 2024 मैं गुप्त दान में मिली नई पालकी के उपयोग का निर्णय लिया। नई पालकी उज्जैन में 100 दिनों में तैयार की गई है। इसमें सागौन की लकड़ी और स्टील के पाइप का उपयोग किया गया है। पालकी पर करीब 20 किलो 600 ग्राम चांदी का आवरण है। 100 किलो वजनी पालकी की लंबाई 17 फीट है। यह तीन फीट चौड़ी और पांच फीट लंबी है। पालकी को उठाने वाले हत्थे पर सिंह मुख की आकृति बनाई गई है। चांदी के आवरण पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल पुष्प और दो शेरों की नक्काशी की गई है।