Simhastha 2028: मध्य प्रदेश के उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 को लेकर 13 अखाड़े शिप्रा नदी का निरीक्षण करने जा रहे हैं। वह शिप्रा के उन सभी घाटों का निरीक्षण करेंगे जहां से नाले का गंदा पानी इसमें छोड़ा जाता है।
Simhastha 2028: उज्जैन में सिंहस्थ 2028 कुंभ मेले की तैयारियां चल रही हैं। इस बीच प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के पानी की गुणवत्ता पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद अब उज्जैन में भी टेंशन बढ़ गया है। इसे देखते हुए अब शुक्रवार को 13 अखाड़ों ने शिप्रा नदी के घाटों और नदी की गुणवत्ता का निरीक्षण करने का निर्णय लिया है।
उज्जैन में 13 अखाड़ों के साधु-संत उन स्थानों का निरीक्षण करेंगे जहां शिप्रा नदी नालों की वजह से प्रदूषित हो रही है। संतों के लिए यह बड़ा चिंता का विषय है। शुक्रवार को महंत भगवान दास, महंत रामेश्वर गिरी, महंत विशाल दास, महंत राघवेंद्र दास, महंत दिग्विजय दास, महंत विद्या भारती और अन्य महामंडलेश्वर इस निरीक्षण में शामिल होंगे। भ्रमण की शुरुआत कवेलू कारखाने इलाके से होगी, जहां टाटा कंपनी द्वारा नाले बंद करने की स्थिति का भी जायजा लिया जाएगा।
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने प्रयागराज भगदड़ के बाद सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर स्नान के दौरान अखाड़ों की पेशवाई बंद करने का सुझाव दिया था। संतों ने मांग की थी कि सभी अखाड़ों के लिए स्नान के अलग स्थान तय किए जाना चाहिए।
दरअसल, कुछ दिन पहले केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के माध्यम से एनजीटी को सूचित किया गया कि प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के दौरान विभिन्न स्थानों पर गंगा और यमुना नदी के जल का स्तर स्नान और पीने के लायक नहीं है। बोर्ड के अनुसार, नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। हालांकि, इस रिपोर्ट को यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिरे से नकार दिया था।