गीता महोत्सव पर शासकीय बालक कॉलरी स्कूल में गीता के 15वें अध्याय का किया गया वाचन
कुरुक्षेत्र वह पवित्र भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के अंतर्मन के द्वंद्व को ज्ञान के प्रकाश से हर लिया था। श्रीमद्भगवत गीता हमें सिखाती है कि संघर्षों के बीच भी मन को कैसे स्थिर और संतुलित रखा जाए। यह विचार कमिश्नर सुरभि गुप्ता ने शासकीय कॉलरी स्कूल में गीता महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि गीता एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि एक दर्शन है। अगर सही दृष्टि से गीता को पढ़ा एवं समझा जाए तो गीता में जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। गीता की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में समस्याओं से अधिक महत्व उनके समाधान की विधियों का है। जीवन में क्या करें और क्या न करें की विकट स्थिति जब उत्पन्न होती है तब गीता ही हमारा मार्गदर्शन करती है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बांधवगढ़ विधायक शिवनारायण सिंह ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता से निष्ठा पूर्वक अपने कर्मपथ पर दृढ होकर चलने की अभिप्रेरणा मिलती है। महायुध्द के दौरान अर्जुन के गहन संशयों और जिज्ञासाओं से उपजे प्रश्नों के समाधान स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग के त्रिगत संयोग से सनातन के आधारभूत चिंतन की भूमि तैयार की है जो आज भी और आने वाली पीढिय़ों को भी अपने आलोक से उर्जस्वित करती रहेगी। कलेक्टर धरणेंन्द्र कुमार जैन ने कहा कि श्रीमद्भागवतगीता भारतीय मनीषा के दर्शन और चिंतन का मूल आधार है जो सदकर्म के माध्ययम से मनुष्य को अपने मे ही दिव्यता का अनुभव करा देती है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आसुतोष अग्रवाल ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता समस्त मानव समाज को स्व धर्म का आत्मक बोध देती है। यह कर्तव्य पथ की ओर प्रशस्तस करती है।
इस अवसर पर आचार्यो व्दारा गीता के 15वें अध्याय का वाचन किया गया जिसे उपस्थित जनों ने दोहराया। इस अवसर पर सीईओ जिला पंचायत अभय सिंह, अपर कलेक्टर प्रमोद कुमार सेन गुप्ता, प्रभारी एसडीएम कमलेश नीरज, सहायक आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग डॉ. पूजा द्विवेदी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सुशील मिश्रा ने किया।