वैज्ञानिकों को बर्फ के नीचे 40,000 साल पुराने जीवाणु मिले हैं, जिन्हें उन्होंने ज़िंदा कर दिया है। इनके ज़िंदा होने से खतरनाक बीमारियों के फैलने का जोखिम पैदा हो गया है।
दुनियाभर के वैज्ञानिक हर समय नई-नई खोज में लगे रहते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में की जाने वाली इन खोजों से कई तरह की नई बातें पता चलती हैं। हालांकि कई खोज ऐसी भी होती हैं जिनसे डर का माहौल पैदा हो जाता है। हाल ही में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो, बोल्डर के वैज्ञानिकों ने अलास्का की जमी हुई बर्फ (परमाफ्रॉस्ट) में ऐसी ही एक खोज की है। इन वैज्ञानिकों ने बर्फ से लगभग 40,000 साल पुराने सूक्ष्म जीवाणुओं की खोज की है।
वैज्ञानिकों ने अपनी खोज के दौरान पाया कि जब परमाफ्रॉस्ट को पिघलाया जाता है तो ये जीवाणु तुरंत ज़िंदा नहीं होते। लेकिन कुछ महीनों बाद ये धीरे-धीरे ज़िंदा होकर जाने लगते हैं और अपनी कॉलोनियाँ बनाना शुरू कर देते हैं।
सुनने में किसी हॉरर फिल्म जैसा लगता है, लेकिन यह हकीकत है। खोजे गए जीवाणुओं में से कुछ जीवाणु ऐसे हो सकते हैं जो खतरनाक बीमारियां फैला दें। अगर ऐसा हुआ, तो काफी गंभीर स्थिति हो सकती है।
वैज्ञानिकों ने अलास्का की परमाफ्रॉस्ट रिसर्च के लिए 65 साल पुरानी सुरंग से नमूने लिए। यह बर्फ और मिट्टी से बनी भूमिगत सुरंग 1960 के दशक में बनाई गई थी। नमूनों को वैज्ञानिकों ने गर्मी जैसी परिस्थितियों में रखा।
रिसर्च की शुरुआत में जीवाणु बहुत धीरे-धीरे बढ़े, लेकिन 6 महीने बाद उन्होंने मज़बूत ग्रुप बना लिए और बायोफिल्म नाम की चिपचिपी परत तक बना डाली। ये सूक्ष्म जीवाणु पिघलने पर कार्बन डाईऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें छोड़ते हैं, जो धरती के तापमान को और तेजी से बढ़ा सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि आर्कटिक क्षेत्र में गर्मियाँ जितनी लंबी होंगी, उतना ही ज़्यादा इस बात का खतरा होगा कि ये जीव जागकर गैसें छोड़ेगे। भले ही अभी तक ये जीवाणु सीधे तौर पर इंसानों को संक्रमित करने में सक्षम न दिखे हों, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में अगर कोई ऐसा जीव बाहर निकला जो जानवरों या इंसानों को बीमार कर दे, तो यह नई महामारी की वजह बन सकता है।