China Project in Bangladesh: चीनी राजदूत याओ वेन ने कहा कि बांग्लादेश जब भी इस प्रोजेक्ट के बारे में निर्माण का फैसला लेगा, चीन उसकी सहायता करने को तैयार रहेगा।
Bangladesh: बांग्लादेश में चीन की पैठ बढ़ती ही जा रही है। अब चीन ने बांग्लादेश के सबसे बड़े प्रोजेक्ट तीस्ता नदी जल परियोजना (Teesta River Water Management) के निर्माण में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की मदद करने का ऐलान किया है। चीन ने कहा है कि ये प्रोजेक्ट चाहे बांग्लादेश बनाए या चीन, लोगों का सिर्फ भला होना चाहिए। चीन (China) ने कहा है कि बांग्लादेश में इस नदी के प्रोजेक्ट से करोड़ों लोगों को फायदा मिलेगा जिससे चीन और बांग्लादेश के बीच संबंधों को एक नया आयाम स्थापित होगा।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में तीस्ता नदी जल परियोजना के निर्माण के संबंध में चीनी राजदूत याओ वेन ने कहा कि बांग्लादेश जब भी इस प्रोजेक्ट के बारे में निर्माण का फैसला लेगा, चीन उसकी सहायता करने को तैयार रहेगा।ढाका में चीनी दूतावास में याओ वेन ने मीडिया से कहा कि ये बांग्लादेश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। चीन ने इस प्रोजेक्ट को लेकर बांग्लादेश के प्रपोजल पर अपना फीडबैक दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश इस प्रपोज़ल को फीडबैक का बाद किए गए बदलावों के बाद दोबारा पेश करे, दो साल पहले अपने बांग्लादेश को सुझाव दिए, जिसके जवाब का इंतजार चीन को अब तक है।
ये प्रोजेक्ट तीस्ता नदी के किनारे रहने वाले बांग्लादेश के हजारों लोगों को फायदा पहुंचाएगा, लेकिन बांग्लादेश इस संबंध में पहले अपना जवाब दे फिर चीन इस पर अपनी समर्थन प्रक्रिया शुरू करेगा।
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की महत्वाकांक्षी तीस्ता नदी जल परियोजना का रोडमैप 2023 में शेख हसीना सरकार के दौरान शुरू किया गया था। इस परियोजना की वर्तमान लागत करीब 1 बिलियन डॉलर आंकी गई है। इस परियोजना से इस नदी के किनारे रहने वाले लोगों को काफी फायदा पहुंचने का दावा किया जा रहा है। इस परियोजना से नदी के किनारे के कटाव को रोका जा सकता है और जमीन को दोबारा पाया जा सकता है। वहीं गर्मियों में इस्तेमाल करने के लिए बाढ़ के पानी को इकट्ठा किया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश का तीस्ता नदी के बंटवारे को लेकर भारत से विवाद हुआ था। 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) के कार्यकाल के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने थे लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के विरोध के चलते ये समझौता नहीं हो पाया था। इस पर उन्होंने कहा था कि इस समझौते से पश्चिम बंगाल में पानी की कमी हो जाएगी।
इसके बाद बांग्लादेश ने इसका विकल्प तलाशने के लिए चीन से मदद मांगी। 2016 में के चीन के पॉवर चाइना (चीन की कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग कंपनी) से एक गैर-बाध्यकारी समझौता किया।
पॉवर चाइना के इस प्रोजेक्ट में नदी का तट कटाव नियंत्रण, बाढ़ प्रबंधन, आपदा न्यूनीकरण, भूमि सुधार, परिवहन-पारिस्थितिकी तंत्र बहाली शामिल है। इस पूरे प्रोजेक्ट के अहम घटकों में ये निर्माण कार्य भी शामिल हैं।
-140 मिलियन क्यूबिक मीटर तलछट की निकासी
- 171 वर्ग किलोमीटर भूमि का फिर से अधिग्रहण
-110 किलोमीटर तटबंध की मरम्मत
-124 किलोमीटर नए तटबंधों का निर्माण
-224 किलोमीटर सड़कों का विकास शामिल
इसके अलावा इस परियोजना में 82 जगहों पर परिवहन और जेटी सुविधाओं की भी परिकल्पना की गई है।
दरअसल भारत के साथ बांग्लादेश का विवाद इसलिए है क्योंकि ये नदी भारत के सिक्किम से निकलती है। दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में शामिल सिक्किम की त्सो ल्हामो से ये नदी निकलती है फिर ये सिक्किम और पश्चिम बंगाल से चलकर बांग्लादेश तक जाती है और फिर ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। ये नदी कुल 315 किमी की है और बांग्लादेश में इसके 115 किलोमीटर के हिस्से में से 102 किलोमीटर हिस्सा तीस्ता बैराज के नीचे की तरफ है, जो एक प्रमुख जल नियंत्रण संरचना है।