Natural environment: पर्यावरण के प्रति जागरूकता की एक नई मिसाल देखने को मिली है। पर्यावरण की चुनौतियों का सामना कर रहे इंडोनेशिया (Indonesia) ने एक नई पहल की है जिसे ग्रीन इस्लाम का नाम दिया गया है।
Natural environment: जकार्ता। दुनिया के सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया (Indonesia) पर्यावरण के प्रति जागरूकता का बीड़ा उठाया है। इंडोनेशिया खुद द्वीपीय देश हैं और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में इस देश ने पर्यावरण को धर्म से जोड़कर 'ग्रीन इस्लाम’ (Green Islam) नाम से नई मुहिम शुरू की है। हाल में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में मौजूद इस्तिकलाल मस्जिद में ग्रैंड इमाम नसरुद्दीन उमर ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि मनुष्य के रूप में हमारी सबसे खतरनाक कमी यह है कि हम पृथ्वी को महज एक वस्तु मानते हैं। हम प्रकृति के प्रति जितने लालची होंगे, कयामत का दिन उतनी ही जल्दी जाएगा।
उन्होंने कहा कि रमजान (Ramadan) में जैसे मुसलमान रोजा रखते हैं, वैसे ही उन्हें धरती की रक्षा को भी अपना फर्ज बनाना चाहिए। रोजाना नमाज (Namaz) की तरह पेड़ लगाना भी आदत होनी चाहिए। गौरतलब है कि नसरुद्दीन जिस मस्जिद के ग्रैंड इमाम है, उसके पास से एक नदी बहती है। इस नदी में फैले कूड़े कचरे से निराश होकर उन्होंने खुद इसकी सफाई का आदेश दिया था।
यही नहीं, दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद को उन्होंने पूरी तरह सौर पैनल से लैस कर इसे ग्रीन मस्जिद (Green Islam) में बदल दिया है। उनका कहना है कि मुसलमानों को प्रकृति की परवाह करनी चाहिए। उनके इस अभियान का असर दूसरे देशों में भी दिखाई देने लगा है। ग्रीन इस्लाम आंदोलन के समर्थकों का कहना है कि 20 करोड़ मुसलमानों को शिक्षित करने से बदलाव लाया जा सकता है।