Harvard visa policy Indian students: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की वीज़ा नीति बदलावों ने हार्वर्ड के सैकड़ों भारतीय छात्रों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है।
Harvard visa policy Indian students: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) और विश्वप्रसिद्ध हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच चल रहा संग्राम भारतीय छात्रों के लिए तनाव और अनिश्चितता का कारण बन गया है। भारतीय शिक्षकों की प्रमुख भूमिका के बावजूद, छात्रों को वीज़ा संकट (International student visa US) का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप प्रशासन की ओर से विदेशी छात्रों के लिए F-1 और J-1 वीज़ा नीति (Harvard visa policy) में बदलाव और हॉर्वर्ड जैसे संस्थानों के ऑनलाइन शिक्षा देने पर वीजा रद्द करने की धमकी ने सैकड़ों भारतीय छात्रों को गहरी चिंता में (Indian students visa crisis)डाल दिया है। हालांकि, यू.एस. जिला न्यायाधीश एलिसन बरोज़ ने हॉर्वर्ड और एमआईटी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रंप प्रशासन के आदेश को अस्थायी रूप से रोक लगा है, जिससे वर्तमान छात्रों को राहत मिली है, मगर इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि नीति-निर्माण में अचानक बदलाव और राजनीतिक हस्तक्षेप से विदेशी विशेषकर भारतीय छात्रों का भविष्य लगातार असुरक्षित बना रहता है।
हॉर्वर्ड बिजनेस स्कूल (HBS) सहित विभिन्न विभागों में कई भारतीय मूल के प्रोफेसर और नेतृत्वकर्ता मौजूद हैं, जो न केवल शिक्षा क्षेत्र, बल्कि नीति और प्रशासनिक स्तर पर भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इन नामों पर एक नजर:
प्रो. कृष्णा जी. पालेपु रॉस ग्राहम वॉकर प्रोफेसर, व्यवसाय प्रशासन, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और रणनीति में विशेषज्ञ आंध्र विश्वविद्यालय, IIM कोलकाता और MIT से उच्च शिक्षा प्राप्त, विभिन्न कॉर्पोरेट और गैर-लाभकारी संगठनों के बोर्ड सदस्य।
प्रो. अनंत रमन आपूर्ति श्रृंखला, सेवा संचालन और परिचालन रणनीति में विशेषज्ञता,एमबीए व कार्यकारी कार्यक्रमों में सक्रिय शिक्षण,कई डॉक्टरेट छात्रों के मार्गदर्शक।
प्रो. लक्ष्मी रामराजन डायने डोर्ज विल्सन प्रोफेसर, संगठनात्मक व्यवहार,पहचान और संस्कृति जैसे विषयों पर शोध,संगठनों में सामाजिक संरचनाओं के प्रभावों का अध्ययन।
वी. कस्तूरी रंगन एचबीएस में मार्केटिंग के प्रोफेसर हैं और सामाजिक उद्यम पहल के सह-अध्यक्ष हैं। पूर्व में विभागाध्यक्ष रह चुके हैं।
श्रीकांत एम. दातार जनवरी 2021 से एचबीएस के डीन हैं। बॉम्बे यूनिवर्सिटी, IIM अहमदाबाद और स्टैनफोर्ड से शिक्षित। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के बोर्ड में शामिल हैं।
नितिन नोहरिया 2010-2020 तक एचबीएस के डीन रहे। एमआईटी से पीएचडी और IIT-बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।
एचबीएस में वरिष्ठ व्याख्याता हैं। पूर्व में IIM-अहमदाबाद के निदेशक और हार्वर्ड लॉ स्कूल में प्रोफेसर रह चुके हैं।
एचबीएस में अकाउंटिंग प्रोफेसर और कार्यकारी शिक्षा व ऑनलाइन शिक्षा के वरिष्ठ एसोसिएट डीन हैं। उनका शोध प्रदर्शन मूल्यांकन पर केंद्रित है।
एचबीएस में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के प्रोफेसर हैं। IIT-B, IIM-B और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की। एग्जीक्यूटिव एजुकेशन कार्यक्रमों में नेतृत्व कर चुके हैं।
एचबीएस में अकाउंटिंग प्रोफेसर और डिजिटल वैल्यू लैब के अध्यक्ष हैं। उन्होंने आईआईएम-कलकत्ता और एचबीएस से पढ़ाई की है।
हॉर्वर्ड लॉ स्कूल और एचबीएस में कानून और व्यवसाय के प्रोफेसर हैं। वे हॉर्वर्ड में जेडी/एमबीए कार्यक्रम के प्रमुख हैं।
एचबीएस में कॉर्पोरेट फाइनेंस प्रोफेसर हैं। वे हॉर्वर्ड से पीएचडी हैं और नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल में काम कर चुके हैं।
एचबीएस में उद्यमिता के वरिष्ठ व्याख्याता हैं और जीव विज्ञान स्टार्टअप्स से जुड़े हुए हैं। वे एक सीरियल उद्यमी हैं।
केनेडी स्कूल में सार्वजनिक नीति के सहायक प्रोफेसर हैं। उनका शोध असमानता, सामाजिक नीति और दक्षिण एशिया की राजनीति पर केंद्रित है।
केनेडी स्कूल में डिजिटल सरकार पढ़ाती हैं और न्यू अमेरिका में न्यू प्रैक्टिस लैब की उप निदेशक हैं।
सार्वजनिक नीति की प्रोफेसर हैं, जिनकी विशेषज्ञता कानून, राजनीति, नस्लीय मुद्दों और सांख्यिकी में है।
एचबीएस में प्रोफेसर हैं और दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक रहे हैं। वे उभरते बाजारों और उद्यमिता पर कार्य करते हैं।
एचबीएस में प्रोफेसर और हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडवांस इन लर्निंग के वाइस प्रोवोस्ट हैं। वे डिजिटल और मीडिया रणनीति के विशेषज्ञ हैं।
एचबीएस में वित्त और हॉर्वर्ड लॉ स्कूल में कानून पढ़ाते हैं। उनकी विशेषज्ञता कर नीति, अंतरराष्ट्रीय और कॉर्पोरेट वित्त में है।
हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल में बाल चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर हैं और डाना-फारबर सेंटर में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट प्रोग्राम का नेतृत्व करते हैं।
एचएसटी में प्रतिरक्षा विज्ञान के निदेशक और हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल में बाल चिकित्सा के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में मेडिसिन के प्रोफेसर हैं।
हॉर्वर्ड में प्रशिक्षक और BWH में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर हैं। उनका शोध संक्रामक रोगों पर केंद्रित है।
हॉर्वर्ड में मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर हैं। उनकी प्रयोगशाला कैंसर पर शोध करती है, विशेष रूप से प्रोस्टेट और गुर्दे के कैंसर पर।
लक्ष्मी मित्तल साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक हैं। उनका मीडिया और दक्षिण एशियाई अध्ययन में गहरा अनुभव है।
हॉर्वर्ड केनेडी स्कूल में सहायक व्याख्याता हैं और कनाडा के मुख्य सांख्यिकीविद् रहे हैं। वे डिजिटल नवाचार और डेटा नीति के विशेषज्ञ हैं।
हॉर्वर्ड में सार्वजनिक नीति के प्रोफेसर हैं। वे कंप्यूटर विज्ञान के दृष्टिकोण से न्याय, शासन और एल्गोरिदम पर काम करते हैं।
हॉर्वर्ड में लोकतंत्र और प्रौद्योगिकी के सहायक प्रोफेसर हैं। वे डेटा पत्रकारिता और एआई पर शोध करते हैं।
यूएस-एशिया संबंधों पर हॉर्वर्ड में एसटी ली चेयर हैं। वे चीन के इतिहास और राष्ट्रवाद पर लिखते हैं।
एचबीएस में डिजिटल रणनीति के प्रोफेसर हैं। उन्होंने कई कंपनियों को डिजिटल परिवर्तन में सलाह दी है।
एचबीएस और हार्वर्ड कॉलेज में नेतृत्व, समाजशास्त्र और प्रशासन से जुड़े प्रमुख पदों पर हैं।
एचबीएस में सहायक प्रोफेसर हैं और AI4LIFE शोध समूह का नेतृत्व करती हैं। उनका शोध एआई और मशीन लर्निंग पर केंद्रित है।
एचबीएस में रिटेलिंग के प्रोफेसर हैं। उन्होंने रिटेलिंग और मार्केटिंग में कई पाठ्यक्रमों का नेतृत्व किया है।
एचबीएस में बातचीत और सौदेबाजी के प्रोफेसर हैं। वे प्रसिद्ध शिक्षक और लेखक हैं।
एचबीएस में अकाउंटिंग की प्रोफेसर हैं। उन्होंने शिकागो, मिनेसोटा और हार्वर्ड में पढ़ाया है।
एचबीएस में वरिष्ठ व्याख्याता हैं और सामाजिक उद्यमों में निवेश करने वाली फर्म आशा वेंचर्स के संस्थापक हैं।
एचबीएस में प्रोफेसर और रॉक सेंटर के सह-अध्यक्ष हैं। वे अनुभवी उद्यमी और तकनीकी संस्थापक हैं।
एचबीएस में संगठनात्मक व्यवहार के प्रोफेसर हैं। उनका काम नेतृत्व और विकास पर केंद्रित है।
एचबीएस में मार्केटिंग के एमेरिटस प्रोफेसर हैं। वे साउथ एशिया रिसर्च के फैकल्टी चेयर हैं।
एचबीएस और केनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। वे स्वास्थ्य नीति और जीवन विज्ञान पर काम करते हैं।
एचबीएस में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे दूरस्थ कार्य और श्रमिक गतिशीलता पर शोध करते हैं।
भारतीय छात्रों और अभिभावकों में अमेरिका की इस नीति को लेकर भारी नाराज़गी है। छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा का यह विवाद उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। हॉर्वर्ड और एमआईटी जैसे संस्थानों ने छात्रों के हित में मोर्चा खोला, जिसे लेकर छात्रों ने आभार जताया।
हालांकि अदालत ने ट्रंप प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन यह रोक अस्थायी है। यह देखना बाकी है कि अगली सुनवाई में क्या फैसला आता है और क्या यह राहत स्थायी होगी। साथ ही, आने वाले अमेरिकी चुनावों के नतीजों से भी यह मुद्दा फिर से प्रभावित हो सकता है।
बहरहाल हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में कई भारतीय मूल के प्रोफेसर (जैसे तरुण खन्ना, मिहिर देसाई, राज चेट्टी आदि) न केवल शिक्षण कार्य में, बल्कि प्रशासनिक और नीति निर्माण में भी सक्रिय हैं। उन्होंने परोक्ष रूप से इस संकट के समय छात्रों का मार्गदर्शन और समर्थन किया है।
(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)