नॉर्वे की जांच ने बड़े संकेत दिए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चीन यूरोप की इलेक्ट्रिक बसों में साइबर अटैक कर सकता है।
डेनमार्क की सुरक्षा एजेंसियों ने चीन की कंपनी युटोंग निर्मित सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसों में एक गंभीर सुरक्षा जोखिम पाया है। जांच के दौरान एक ऐसा सिस्टम-लेवल एक्सेस मिला है, जो इन बसों को निष्क्रिय कर सकता है।
यह खुलासा तब हुआ जब नॉर्वे की जांच ने संकेत दिए कि युटोंग वाहनों में सॉफ्टवेयर जांच और अपडेट के लिए रिमोट एक्सेस बनाए रखता है।
अब डेनमार्क की नागरिक सुरक्षा और आपात-प्रबंधन एजेंसी (सेमसिक) ने पुष्टि की है कि बसों में लगे कैमरे, माइक्रोफोन, जीपीएस और अन्य इंटरनेट-सक्षम सेंसर 'साइबर हमले की राह खोल' सकते हैं, ट्रांजिट के दौरान इनका इस्तेमाल बस संचालन बाधित करने या निगरानी करने में किया जा सकता है।
इसपर युटोंग ने अपनी सफाई में कहा है कि वह यूरोपीय नियमों और उद्योग मानकों का पालन करता है और डेटा केवल मेंटेनेंस व ऑप्टिमाइजेशन के लिए फ्रैंकफर्ट स्थित अमेजन वेब सर्विस डेटा सेंटर में सुरक्षित रखा जाता है।
डेनमार्क से पहले नॉर्वे में ओस्लो की परिवहन एजेंसी रुटर की पड़ताल में यह पाया गया कि युटोंट के पास दूरस्थ कनेक्शन है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिम-कार्ड हटाने से जोखिम तो घट सकता है, पर उससे कई आवश्यक सेवाएं और भी प्रभावित होंगी।
डेनमार्क की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन कंपनी मूविया के पास 469 चीनी इलेक्ट्रिक बसें हैं, जिनमें से 262 युटोंग निर्मित हैं। समस्या सिर्फ यहीं तक नहीं है। हर उस वाहन में यह जोखिम हो सकता है, जहां चीनी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स का उपयोग हुआ हो।