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India-Iran Agreement : भारत के इस कदम से एक साथ तीन देश तिलमिला उठे, 2 खामोश ! लेकिन 1 ने तो दे डाली धमकी

India takes control of chabahar port sparks sanctions : भारत के ईरान से समझौते के कदम से एक साथ तीन देश अमरीका, चीन और पाकिस्तान तिलमिला उठे हैं। इनमें से 2 देश खामोश हैं, लेकिन 1 एक देश ने तो धमकी ही दे डाली है।

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May 15, 2024
Iran's Chabahar port comes under India's control

Iran's Chabahar port comes under India's control : भारत ( India) ने मध्य एशिया में अपनी साख और धाक बढ़ाने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। भारत ने ईरान ( Iran) का चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) को 10 बरसों के लिए अपने कंट्रोल में ले लिया है। इसके लिए भारत ने ईरान का साथ समझौता किया है।

India-Iran Agreement : भारत को चाबहार स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल ( Shahid Beheshti Port Terminal) के परिचालन का कंट्रोल मिलना हिंदुस्तान को मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मददगार रहेगा। भारत के इस कदम से पाकिस्तान (Pakistan), चीन (China) और अमरीका (America) में खलबली मच गई है। अमरीका ने तो बैन करने तक की धमकी दे दी है। जबकि पाकिस्तान और चीन अभी मौन हैं।

प्रतिबंध लगाने का संभावित खतरा : अमरीका

भारत-ईरान के बीच हुए इस समझौते से गुस्सा हुए अमरीका ने कहा कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौता करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाने का संभावित खतरा है। खैर, भारत के इस कदम को चीन और पाकिस्तान के लिए मुंह तोड़ जवाब माना जा रहा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि चीन की ओर से विकसित किए जा रहे ग्वादर बंदरगाह और अब भारत की ओर से संचालित किरने वाले चाबहार बंदरबाग के बीच समुद्री मार्ग की दूरी महज 172 किलोमीटर है, और ऐसे कई देश हैं जो चाबहार बंदरगाह का अपने कारोबार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।

पाकिस्तान- चीन के लिए करार के मायने

ईरान के चाबहार पोर्ट का कंट्रोल भारत को मिलना, पाकिस्तान और चीन के लिए किसी करारे झटके से कम नहीं है। क्योंकि एक ओर चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बना रहा है, जो समुद्री मार्ग से चाबहार बंदरगाह से दूरी केवल करीब 172 किलोमीटर है। जबकि सड़क मार्ग से इन दोनों पोर्ट की दूरी करीब 400 किलोमीटर है। वैसे चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बना कर इलाके में अपना दबदबा बनाना चाहता है। ऐसे में ईरान के चाबहार पोर्ट का कंट्रोल भारत के पास होना बहुत फायदेमंद है। एक ओर जहां इससे व्यापार के लिहाज से भारत की पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर यहां से पाकिस्तान-चीन की जुगलबंदी को भारत मुंह तोड़ जवाब दे पाएगा।

भारत को चाबहार बंदरगाह से कितना लाभ?

ईरान के साथ भारत की यह डील रणनीतिक रूप से बहुत अहम है। इस पोर्ट के कंट्रोल से पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया तक भारत की राह सीधी और आसान हो जाएगी। ईरान के साथ यह करार क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देगा। यह पहली बार है, जब भारत किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में ल रहा है। भारत इस बंदरगाह को अपने कंट्रोल में लेकर पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के साथ-साथ चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को भी मुंह तोड़ जवाब दिया है।

मध्य एशिया को साधना चाहता है पाकिस्तान

चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट से मध्य एशिया को साधना चाहता है. लेकिन अब चाबहार बंदरगाह से भारत चीन के बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को काउंटर करेगा और यह पोर्ट भारत के लिए अफगानिस्तान, मध्य एशिया और व्यापक यूरेशियन क्षेत्र के लिए अहम कनेक्टिविटी लिंक के रूप में काम करेगा। यह बंदरगाह भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच ट्रांजिट ट्रेड के केंद्र के रूप में पारंपरिक सिल्क रोड का एक वैकल्पिक मार्ग होगा। दरअसल यह बंदरगाह भारत के लिए व्यापार और निवेश के अवसरों के रास्ते खोलेगा और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

अमरीका ने क्या धमकी दी?

अमरीका ने कहा कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौते करने वाले किसी भी देश को प्रतिबंधों का संभावित खतरा झेलना होगा। अमरीकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हम इन खबरों से अनजान नहीं हैं कि भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं चाहूंगा कि भारत सरकार चाबहार बंदरगाह और ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों पर बात करे। आपने हमें कई मामलों में यह कहते हुए सुना है कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें संभावित खतरों और प्रतिबंधों के बारे में पता होना चाहिए।’

चीन और पाकिस्तान अब भी खामोश

भारत के इस कदम से चीन और पाकिस्तान भले ही अभी खामोश हैं, मगर उन्हें बुरा तो जरूर लगा है।
चीन पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रख कर जिस तरह से मध्य एशिया को साधना चाहता है, भारत के इस कदम से उसे बड़ा झटका लगा होगा। अब चीन का इलाके में एकछत्र राज नहीं चल पाएगा, क्योंकि अब ग्वादर पोर्ट से महज कुछ ही दूरी पर भारत भी मौजूद रहेगा, जो उसको इलाके में कड़ी टक्कर देगा। वैसे भी मध्य एशिया के ऐसे कई देश हैं, जो व्यापार और कारोबार के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने के ख्वाहिशमंद रहे हैं।

कहां है चाबहार पोर्ट, कितना होगा इनवेस्ट ?

चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। यह बंदरगाह ईरान और भारत मिल कर विकसित कर रहे हैं। बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड ( IPGL) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ( Ports and Maritime Organization ) ने इस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं। आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर निवेश करेगा, जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी। यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा।

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