Israel-Iran War: इजरायल और ईरान के बीच युद्ध भड़कने का भारत सहित विभिन्न देशों पर असर पड़ने की आशंका से दुनियाभर के बाजारों में हड़कंप मच गया।
Israel-Iran War: दुनिया में युद्ध का एक और मैदान खुल गया। परमाणु संधि के लिए ईरान की बाध्य करने के अमेरिकी कूटनीतिक प्रयास विफल होने के बाद इजरायल ने गुरुवार देर रात 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के तहत ईरान पर हवाई हमले शुरू कर दिए। ईरान ने भी खून का बदला खून से लेने की धमकी देते हुए जवाबी कारवाई शुरू कर दी है। शुरुआती ड्रोन हमले के बाद शुक्रवार देर रात को इजरायल पर 200 से ज्यादा मिसाइल हमले किए गए। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इजरायल ने अपनी कठोर नियति तय कर ली है। इस घटनाक्रम से मध्य-पूर्व की स्थिति विस्फोटक हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने कहा बड़े पैमाने पर संघर्ष हो सकता है। ईरान को बर्बाद से बचने के लिए तुरंत परमाणु समझौता करना चाहिए।
दरअसल, इजरायल और ईरान के बीच युद्ध भड़कने का भारत सहित विभिन्न देशों पर असर पड़ने की आशंका से दुनियाभर के बाजारों में हड़कंप मच गया। कच्चे तेल का भाव एक ही दिन में 9 फीसदी चढ़ गया। एमसीएस में सोने की कीमत पहली बार एक लाख रुपये (प्रति दस ग्राम) के पार चली गई।
बता दें कि पाकिस्तान का एयरस्पेस पहले से ही बंद है। अब ईरान और इराक का एयरस्पेस बंद होने से भारत से यूरोप, अमेरिका और कनाडा जैसे पश्चिमी देश जाने के लिए विमानों को विएना फ्रैंकफर्ट जैसा लंबा रास्ता अपनाना होगा। इससे दूरी और यात्रा समय और लागत में इजाफा होगा। इससे किराया बढ़ेगा।
क्रूड के दाम दो दिन में ही 15 प्रतिशत बढ़े हैं। मोतीलाल ओसवाल के कमोडिटी रिसर्च हेड नवनीत दामनी ने कहा अगर लड़ाई बढ़ी तो कीमतें 8-9 फीसदी और चढ़ सकती है। इससे भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। हालांकि शॉर्ट टर्म में भारत पर ज्यादा असर पड़ने की आतका नहीं है।
भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी क्रूड आयात करता है। कीमतों में प्रति बैरल 10 डॉलर की बढ़त होने पर खुदरा महंगाई 0.5 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इससे यातायात से लेकर माल ढुलाई और कच्चे माल की लागत बढ़ जाती है। महंगे क्रूड से पेंट्स, टायर और ल्यूबिक्रेंट आदि महंगे हो जाएंगे।
लड़ाई बढ़ी तो सेफ हेवन असेट के रूप में डॉलर की डिमांड भी बढ़ेगी। इससे रुपये पर दबाव बढ़ेगा। इसका असर देश के ट्रेड डेफिसिट और करंट अकाउंट डेफिसिट पर पड़ेगा। इससे महंगाई का दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि रुपये की वैल्यू घटने से आयोजित चीजें महंगे हो जाएंगी।
लड़ाई के गंभीर होने की स्थिति में खाड़ी देशों में काम करने वाले करीब 1 करोड़ भारतीयों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा हो सकती है। इन भारतीयों ने पिछले साल ही करीब 45 अरब डॉलर की राशि भेजी है, जो कि देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है।
ईरान के चाबहार पोर्ट का निर्माण भारत की कूटनीतिक जरूरतों के हिसाब से काफी महत्त्वपूर्ण है, जो अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण अटका हुआ है। इस संघर्ष से भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
स्वेज नहर व रेड सी सहित महत्वपूर्ण शिपिंग लाइंस के लिए रिस्क बना हुआ है। ये यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के साथ भारत के व्यापार के लिए अहम हैं। इस रुट में बाधा पड़ने से शिपमेंट्स में देरी होगी। इससे भारत का निर्यात प्रभावित होगा।