Nobel Prize: नोबेल पुरस्कार चयन की प्रक्रिया अक्टूबर के पहले सोमवार यानी आज से शुरू हो जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था लेकिन वे इस दौड़ से बाहर हो गए।
हर साल अक्टूबर में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा के समय दुनिया भर की निगाहें विजेताओं पर टिक जाती हैं। क्या आप जानते हैं कि इन पुरस्कारों के चयन की प्रक्रिया कितनी गोपनीय और जटिल होती है? कौन तय करता है नोबेल विजेताओं का नाम और यह प्रक्रिया कैसे चलती है। जानिए
नोबेल वीक हर साल अक्टूबर के पहले सोमवार से शुरू होता है। सबसे पहले चिकित्सा पुरस्कार की घोषणा होती है। इसके बाद क्रमशः भौतिकी, रसायन, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के पुरस्कार दिए जाते हैं। नोमिनेशन की केवल चुनिंदा लोगों को अनुमति होती है - जैसे यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर, सरकारी सदस्य, पूर्व नोबेल विजेता या शांति संस्थानों के निदेशक। सेल्फ नोमिनेशन पूरी तरह प्रतिबंधित है।
नोमिनीज और नाम प्रपोज करने वालों की पहचान 50 वर्षों तक गुप्त रखी जाती है। यह नीति चयन की निष्पक्षता बनाए रखती है। हर श्रेणी के लिए विशेषज्ञ समितियां उम्मीदवारों के रिव्यू में जांचती हैं कि वे अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के उस सिद्धांत पर खरे उतरते हैं या नहीं, जिसमें कहा गया है कि मानव कल्याण में योगदान करने वाले को ही यह सम्मान मिलना चाहिए।
शांति पुरस्कार के लिए पांच सदस्यीय नॉर्वेजियन नोबेल समिति जिम्मेदार है, इसे नॉर्वे की संसद नियुक्त करती है। समिति सालभर नोमिनेशंस पर चर्चा व विशेषज्ञों की राय से अंतिम निर्णय अगस्त या सितंबर में बहुमत से लेती है। अन्य श्रेणियों जैसे साहित्य, विज्ञान आदि के लिए स्वीडिश अकादमी जिम्मेदार होती है, यह गुप्त मतदान से विजेताओं का चयन करती है।
हर साल हजारों नाम प्रस्तावित किए जाते हैं, यी सूची सुरक्षा तिजोरी में 50 साल तक सील रहती है। इस साल 338 नोमिनेटेड हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय, नाटो, हांगकांग की एक्टिविस्ट चौ हांग-तुंग, और कनाडाई मानवाधिकार वकील इरविन कॉटलर शामिल हैं। कुछ नेताओं जैसे डॉनल्ड ट्रंप को भी नामांकित बताया गया, लेकिन उनके प्रस्ताव समयसीमा (31 जनवरी) के बाद आए, इसलिए वे मान्य नहीं हैं। ज्ञात रहे अमरीकी संसद बडी कार्टर, कंबोडिया के पीएम हुन मानेट और पाक विदेश मंत्री इशाक डार ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था।
महात्मा गांधी 20वीं सदी में अहिंसा के सबसे सशक्त प्रतीक बन गए हैं। गांधीजी को 1937, 1938, 1939, 1947 और अंततः जनवरी 1948 में उनकी हत्या से कुछ दिन पहले नामांकित किया गया था। नोबेल समिति के बाद के सदस्यों ने इस चूक पर सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त किया। वर्ष 1989 में दलाई लामा को जब शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया तो समिति के अध्यक्ष ने कहा कि यह "कुछ हद तक महात्मा गांधी की स्मृति को श्रद्धांजलि" थी।
कवि रवींद्रनाथ टैगोर को साहित्य के लिए 1913 में सम्मानित किया जा चुका है। महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन को भौतिकी के लिए वर्ष 1930 में तो मदर टेरेसा को शांति के लिए 1979 में इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। इनके अलावे सुब्रह्मण्यन् चंद्रशेखर (भौतिकी, 1983), हरगोविंद खुराना (चिकित्सा, 1968), अमर्त्य सेन (अर्थशास्त्र, 1998), वेंकटरमन रामकृष्णन (रसायन विज्ञान, 2009), कैलाश सत्यार्थी (शांति, 2014), और अमेरिकी भारतीय अभिजीत बनर्जी (अर्थशास्त्र, 2019) शामिल हैं।