विदेश

सूअर का लिवर इंसान में प्रत्यारोपित, 171 दिन तक जीवित रहा मरीज

चीन के डॉक्टरों ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने इंसान में सफलतापूर्वक सूअर का लिवर प्रत्यारोपित कर दिया।

2 min read
Oct 25, 2025
Surgery (Representational Photo)

चीन (China) के डॉक्टरों ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया जो पहले कभी नहीं हुआ। पढ़कर मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि चीन के डॉक्टरों ने ऐसा क्या कर दिया? दरअसल उन्होंने सफलतापूर्वक सूअर के जीन-सम्पादित लिवर को एक मानव शरीर में प्रत्यारोपित किया। यह एक नई दिशा में कदम है, जिसे जीन सम्पादित सूअर लिवर (Pig Liver) कहा जा रहा है। यह विश्व का पहला ऐसा मामला है और इससे अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जागी है।

ये भी पढ़ें

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल से…

71 साल के एक मरीज पर किया गया प्रयोग

इस प्रयोग को 71 साल के एक मरीज पर आजमाया गया, जिसके लिवर में ट्यूमर था और वो सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। यह सर्जरी मई 2024 में अन्हुई मेडिकल यूनिवर्सिटी के फर्स्ट अफिलिएटेड हॉस्पिटल में की गई थी।

171 दिन तक सूअर के लिवर पर जीवित रहा मरीज

ऑपरेशन के बाद मरीज 171 दिन तक सूअर के लिवर पर जीवित रहा और यह साबित कर दिया कि जीन-सम्पादित सूअर का लिवर इंसान के शरीर में कुछ समय तक सही से काम कर सकता है। पहले 31 दिनों तक सूअर का लिवर बिना किसी समस्या के काम करता रहा। बाइल (पित्त) और रक्त जमावट (कोएगुलेशन) का उत्पादन भी हुआ। हालांकि 38वें दिन कुछ जटिलताएं सामने आईं। मरीज के शरीर में रक्त के थक्के बन गए, जिससे सूअर का लिवर हटाना पड़ा। बाद में मरीज में एक बार फिर आंतरिक रक्तस्राव हुआ और फिर उसकी मौत हो गई।

निर्धारित समय तक ही करता है सूअर का लिवर काम

डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा है। इससे यह साबित होता है कि जीन-सम्पादित सूअर का लिवर इंसान के शरीर में एक निर्धारित समय तक ही काम कर सकता है।

सूअर के जीन्स में किए गए बदलाव

इंसान में प्रत्यारोपण से पहले सूअर के लिवर के लिए सूअर के शरीर में कुल 10 जीन्स में बदलाव किए गए थे। वैज्ञानिकों ने तीन ऐसे जीन्स हटाए जो प्रतिरक्षा प्रणाली को अंग को अस्वीकृत करने के लिए प्रेरित करते थे, और 7 इंसानी जीन्स जोड़े जिससे सूअर का लिवर मानव शरीर से ज़्यादा मेल खा सके।

एक्सपर्ट्स की क्या है राय?

इस मामले में एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम अंगों की कमी की समस्या को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। यह एक्सेट्रांसप्लांटेशन या अंगों को अलग प्रजातियों से एकत्र करने को वैधता देने की दिशा में एक अहम प्रगति है और भविष्य में यह अंग प्रत्यारोपण की ज़रूरत वाले मरीजों के लिए ब्रिज थेरेपी के रूप में काम कर सकता है। हालांकि अभी भी प्रतिरक्षा और रक्त जमाव से संबंधित चुनौतियाँ हैं लेकिन यह सफलता अंगों की कमी की समस्या को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।

ये भी पढ़ें

वैज्ञानिकों की नई खोज, लैब में बने भ्रूण ने तैयार की रक्त कोशिका

Also Read
View All

अगली खबर