China-Pakistan Economic Corridor: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने एससीओ सम्मेलन के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने ही भारत के खिलाफ इतनी बड़ी बात कह दी, जानिए:
China-Pakistan Economic Corridor: पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित एसएसीओ सम्मेलन में पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ( S jaishanakar) की मौजूदगी में शहबाज़ शरीफ़ ने एससीओ (SCO Summit 2024)में शहबाज़ शरीफ़ ने बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) के बारे में कहा कि यह योजना विभिन्न देशों के बीच आर्थिक सहयोग और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीआरआरआई (BRRI) न केवल बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करता है, बल्कि देशों के बीच आपसी संबंधों को भी मजबूत करता है। शहबाज़ शरीफ़ (Shehbaz Sharif ) ने यह भी कहा कि इस पहल से सदस्य देशों को व्यापार और निवेश (China-Pakistan Economic Corridor) के नए अवसर मिलेंगे, जो क्षेत्र की स्थिरता और तरक्की में योगदान देंगे।
बीआरआई, यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, एक वैश्विक विकास रणनीति है जिसे चीन ने 2013 में शुरू किया। इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। बीआरआई के अंतर्गत दो मुख्य पहलें शामिल हैं:
सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट: यह सड़क और रेलवे नेटवर्क के माध्यम से चीन को मध्य एशिया, यूरोप और अन्य क्षेत्रों से जोड़ता है।
21st सेंचुरी मैरीटाइम सिल्क रोड: यह समुद्री मार्गों के माध्यम से चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, अफ्रीका और यूरोप से जोड़ता है।
बीआरआई का उद्देश्य : देशों के बीच व्यापार, निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जिससे आर्थिक विकास और स्थिरता को समर्थन मिले।
क्षेत्रीय संप्रभुता: भारत का मानना है कि बीआरआई का एक प्रमुख प्रोजेक्ट, चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC), पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से गुजरता है। भारत इसे अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
भ्रष्टाचार और कर्ज का जाल: भारत चिंतित है कि बीआरआई के तहत कई विकासशील देशों को भारी कर्ज में डाल दिया जा सकता है, जिससे वे आर्थिक रूप से चीन के प्रति निर्भर हो जाएंगे। इससे देशों की राजनीतिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
सुरक्षा चिंताएँ: भारत को डर है कि बीआरआई के तहत चीन का प्रभाव बढ़ने से भारत के सुरक्षा हितों पर खतरा हो सकता है, खासकर दक्षिण एशिया में।
सामरिक प्रतिस्पर्धा: भारत के लिए बीआरआई एक रणनीतिक चुनौती भी है, क्योंकि यह चीन के प्रभाव को बढ़ाने का एक उपाय है, जिससे क्षेत्र में संतुलन बिगड़ सकता है।
विकास मॉडल: भारत का मानना है कि बीआरआई का विकास मॉडल पारदर्शिता और सतत विकास के मानकों का पालन नहीं करता, जो विकासशील देशों के लिए अनुकूल नहीं है।
इन कारणों से भारत ने बीआरआई का विरोध किया है और अपने स्वतंत्र विकास और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक पहलों पर ध्यान केंद्रित किया है।
आर्थिक विकास: पाकिस्तान को बीआरआई के माध्यम से बुनियादी ढांचे के विकास और आर्थिक सुधार के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है। यह देश के लिए रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास का अवसर प्रदान करता है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC): CPEC बीआरआई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पाकिस्तान के विकास में योगदान देता है। यह चीन को अपने सामान की तेज़ आपूर्ति के लिए एक रणनीतिक मार्ग प्रदान करता है, जबकि पाकिस्तान को ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में सुधार की सुविधा मिलती है।
भू राजनीतिक संबंध: चीन और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ भूराजनीतिक संबंध हैं। बीआरआई के माध्यम से, चीन पाकिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहता है, जिससे वह दक्षिण एशिया में अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित कर सके।
क्षेत्रीय सहयोग: दोनों देश बीआरआई को एक ऐसा मंच मानते हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग और विकास के लिए अवसर प्रदान करता है। इससे न केवल पाकिस्तान का विकास होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में व्यापार और निवेश के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
सुरक्षा हित: चीन का मानना है कि बीआरआई से उसके पश्चिमी प्रांतों की सुरक्षा में सुधार होगा, क्योंकि यह आर्थिक स्थिरता और विकास लाएगा, जो आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ एक सुरक्षा उपाय हो सकता है।
चीन और पाकिस्तान इन कारणों से बीआरआई को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं और इसे अपने आर्थिक और भूराजनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।