US Election Ballots: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मतपत्र पर कई विदेशी भाषाएं लिखे होने की जानकारी मिली है, लेकिन उसमें हिन्दी भाषा शामिल नहीं है। जबकि इस मत पत्र पर बांग्ला भाषा लिखी हुई है।
US Election Ballots: आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार चुनाव में वोटर्स भारतीय भाषा ( Indian Community) में भी वोट डाल सकेंगे, मगर हिंदी नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव के मतपत्रों ( US Election Ballots) में अंग्रेजी के अलावा केवल चार अन्य भाषाएं ( Voter Ballot Languages) शामिल की गई हैं। इस सूची में भारतीय भाषा का प्रतिनिधित्व बांग्ला कर रही है। एनवाइसी के चुनाव बोर्ड के कार्यकारी निदेशक माइकल जे रयान ने कहा कि एशियाई भाषाओं के रूप में चीनी, स्पेनिश, कोरियाई और बंगाली का नाम शामिल ( Bengali Inclusion) है। जबकि न्यूयार्क में 200 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। ध्यान रहे कि व्हाइट हाउस से मान्यता प्राप्त भाषाओं में राजस्थानी भी शामिल है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान (US Presidential Election) हो रहा है। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।
टाइम्स स्क्वायर के एक स्टोर में सेल्स एजेंट के रूप में काम करने वाले भारतीय मूल के सुभशेष ने इसे लेकर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि क्वींस इलाके में रहने वाले उनके पिता जब वोट डालने जाएंगे तो उन्हें अब दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले भारतीय अंग्रेजी जानते हैं, लेकिन हमारे समुदाय में कई लोग हैं जो अपनी मूल भाषा में सहज हैं। इससे उन्हें मतदान केंद्र पर मदद मिलती है।
न्यूयार्क के क्वींस इलाके में दक्षिण एशियाई समुदाय को पहली बार 2013 में मतपत्रों का बंगाली में अनुवाद मिला था। संघीय सरकार द्वारा 1965 के मतदान अधिकार अधिनियम के एक प्रावधान के तहत दक्षिण एशियाई अल्पसंख्यकों को भाषा सहायता प्रदान करने का आदेश देने के लगभग दो साल बाद बंगाली भाषा के मतपत्रों को शामिल किया गया। फेडरेशन आफ इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. अविनाश गुप्ता का कहना है कि इससे भारतीय समुदाय को मदद मिलती है।
ध्यान रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में, आम तौर पर अंग्रेजी में ही मतदान होता है, लेकिन इस बार मतपत्र में कुछ भारतीय भाषाओं, जैसे बांग्ला और कोरियाई, का समावेश किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि अमेरिका में भारतीय और अन्य एशियाई समुदायों की संख्या काफी बढ़ी है, और उनके लिए मतदान प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के लिए यह एक अहम पहल है।
हैरानी की बात यह है कि हिंदी को इस सूची में शामिल नहीं किया गया, जबकि हिंदी भाषी मतदाताओं की संख्या भी काफी बड़ी है। इसके बजाय, बांग्ला और कोरियाई भाषाओं को प्राथमिकता दी गई है, जो शायद उस समय के लिए अधिक आवश्यक समझी गई होंगी, क्योंकि इन भाषाओं के बोलने वालों की संख्या अमेरिका में बढ़ रही है। यह कदम अमेरिका में विभिन्न भाषाई और सांस्कृतिक समूहों के बीच प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया प्रतीत होता है। लेकिन इस फैसले के कारण, हिंदी बोलने वाले मतदाताओं में निराशा भी हो सकती है, क्योंकि उन्हें अपनी मातृभाषा में मतदान का विकल्प नहीं मिल पाया। इंडो अमेरिकन मतदाताओं को उम्मीद थी कि मत पत्र पर भारतीय भाषाएं शामिल करवाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस आवाज उठाएंगे।