पूजा

Ganga Saptami 3 May: 3 शुभ योग में मनेगी गंगा सप्तमी, पद्म पुराण से जानिए महत्व, पूजा विधि और क्या करें

Auspicious Yog: गंगा सप्तमी प्रमुख हिंदू पर्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और जलदान से पाप कट जाते हैं। खास बात यह है कि इस साल 3 शुभ योग में गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। पढ़ें गंगा सप्तमी का महत्व, पूजा विधि क्या है और इस दिन क्या करें (Ganga Saptami Puja Vidhi) ..

3 min read
May 01, 2025
Ganga Saptami Puja Vidhi: गंगा सप्तमी पूजा विधि

Ganga Saptami Puja Vidhi: ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है। इस दिन पुण्यदायिनी गंगा का पुनर्अवतरण हुआ था। खास बात यह है कि यह त्रिपुष्कर योग, शिववास योग, पुनर्वसु, पुष्य नक्षत्र और रवियोग के संयोग में गंगा सप्तमी मनाई जाएगी।


इस दिन गंगा के स्मरण, दर्शन और स्नान करने मात्र से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति, यश-सम्मान में वृद्धि और सभी पापों का क्षय होता है। साथ ही अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव में कमी आती है और सकारात्मकता का वास होता है। इस दिन दान-पुण्य और धर्म कृत्य करने से जन्म-जन्मांतर तक इसका पुण्य मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।


कब है गंगा सप्तमी (Kab Hai Ganga Saptami)

ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी की शुरुआत का प्रारंभ 03 मई को सुबह 07:51 बजे हो रही है और इसका समापन 04 मई को सुबह 07:18 बजे पर होगी। उदया तिथि में गंगा सप्तमी 3 मई को मनाई जाएगी।


मान्यता है कि गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का विशेष महत्व है, जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते वो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है। वहीं, इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।


03 मई को दुर्लभ त्रिपुष्कर योग के साथ रवि योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में गंगा स्नान कर मां गंगा और देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का भी संयोग है।


गंगा सप्तमी पर गंगा जल नकारात्मकता से बचाता है और यह शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। भक्त शिवलिंग अभिषेक के लिए गंगा जल का उपयोग करते हैं। गंगा जल का उपयोग मृत लोगों की अस्थियों को विसर्जित करने में भी किया जाता है ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

दोबारा प्रकट हुई गंगा

ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार महर्षि जह्नु जब तपस्या कर रहे थे, तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था। इसलिए उन्होंने गुस्से में आकर अपने तप के बल से गंगा को पी लिया था। लेकिन बाद में अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था। इसलिए ये गंगा के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है। तभी से गंगा का नाम जाह्नवी पड़ा।

श्रीमद्भागवत में गंगा

ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्रीमद्भागवत महापुराण मे गंगा की महिमा बताते हुए शुकदेव जी राजा परीक्षित से कहते हैं कि जब शरीर की राख गंगाजल में मिलने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिल गया था तो गंगाजल के कुछ बूंद पीने और उसमें नहाने पर मिलने वाले पुण्य की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान, अन्न और कपड़ों का दान, जप-तप और उपवास किया जाए तो हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं।

घर को जरूर करें गंगाजल से शुद्ध (Ganga Saptami Importance)

ज्योतिषाचार्य के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन घर में गंगाजल लाना और गंगाजल से घर को शुद्ध करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है। परिवार में सकारात्मकता कथा आती है। घर का वातावरण शुद्ध होता है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।


इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं। किसी दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्रों में बताई हिंसा करना, पराई स्त्री के पास जाना, ये तीन तरह के कायिक यानी शारीरिक पाप हैं। वाचिक पाप में कड़वा और झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना और फालतू बातें करना।

इनके अलावा दूसरों की चीजों को अन्याय से लेने का विचार करना, किसी का बुरा करने की इच्छा मन में रखना और गलत कामों के लिए जिद करना, ये तीन तरह के मानसिक पाप होते हैं।

गंगा सप्तमी पूजा विधि (Ganga Saptami Puja Vidhi)


नीतिका शर्मा के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान पर पुष्प अर्पित करें। घर पर ही मां गंगा की आरती करें। वह भोग लगाएं।

गंगा सप्तमी पर जरूर करें यह कार्य (Ganga Saptami Par Kya Kare)

1.ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि गंगा सप्तमी के दिन स्नान ध्यान के बाद मां गंगा की पूजा अवश्य करें।

2. एक कटोरी में गंगा जल भर लें और उस कटोरी के समक्ष गाय के घी का दीपक जलाकर मां गंगा की पूजा करें।

3. इसके बाद आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

4. गंगा सप्तमी के दिन किसी जरूरतमंद, अथवा किसी ब्राह्मण को अन्न, धन या वस्त्र का दान अवश्य करें। ऐसा करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। भगवान शिव की जटाओं से ही मां गंगा प्रवाहित होती हैं, इसलिए गंगा सप्तमी के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक जरूर करें।

    Also Read
    View All

    अगली खबर