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Puja Ke Niyam: पूजा करते समय इन नियमों का करें पालन, जानें क्या है सही तरीका

puja ke niyam: आरती क्या है, आरती का महत्व क्या है, इसे सही तरीके से कैसे किया जाता है और क्यों पूजा के अंत में केवल एक ही आरती करनी चाहिए। साथ ही ये भी जानते हैं कि आरती से ऊर्जा कैसे ग्रहण की जाए और किन नियमों का पालन करना आवश्यक है।

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puja ke niyam (pc: gemini generated)

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Puja Ke Niyam: पूजा करते समय इन नियमों का करें पालन, जानें क्या है सही तरीकास्कंद पुराण में आरती को पूजा का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना गया है। किसी भी पूजा, हवन या अनुष्ठान के अंत में देवी-देवता की आरती की जाती है। आरती केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि भाव, श्रद्धा और प्रकाश का संगम है। थाल में रखी ज्योति और उसके चारों ओर रखी वस्तुएं हमारी प्रार्थना को देवता तक पहुँचाती हैं। आरती के दौरान जो स्तुति गाई जाती है, वही आरती को प्रभावशाली बनाती है। जितने भाव से आरती की जाएगी, उतना ही अधिक शुभ फल प्राप्त होता है।

आरती करने के सही नियम


पूजा के बिना अकेली आरती न करें

आरती हमेशा पूजा, मंत्र-जप, भजन या प्रार्थना के बाद ही की जानी चाहिए। अकेली आरती करना उचित नहीं माना जाता।

दीपक और कपूर का उपयोग

आरती आप दो तरीकों से कर सकते हैं—

कपूर जलाकर

घी के पंचमुखी दीपक से
घर में साधारणतः कपूर से और मंदिरों में दीपक से आरती की जाती है।

थाल में क्या रखें?

-फूल

-कुमकुम

-ज्योति (कपूर/दीपक)

आरती घुमाने का तरीका

थाल को ऐसे घुमाएँ कि "ॐ" की आकृति बने—

-चरणों पर 4 बार

-नाभि पर 2 बार

-मुख पर 1 बार

-पूरे शरीर पर 7 बार

इसके बाद थाल के फूल भक्तों को दें और कुमकुम का तिलक लगाएं।

आरती से ऊर्जा कैसे ग्रहण करें?

-सिर ढककर आरती लें।

-दोनों हाथों को ज्योति के ऊपर घुमाकर आंखों और सिर पर लगाएं।

-आरती लेने के बाद 5 मिनट तक पानी को न छुएं।

-दक्षिणा आरती की थाली में न रखें; दान-पात्र या पंडित को दें।