Bhaum Pradosh Vrat: मंगलवार 8 जुलाई को भौम प्रदोष और जया पार्वती व्रत का पहला दिन है। आइये पढ़ते हैं व्रत के नियम (Jaya Parvati Vrat Niyam)
Jaya Parvati Vrat Niyam: मंगलवार 8 जुलाई 2025 को भौम प्रदोष के साथ जया पार्वती व्रत भी शुरू हो रहा है। इन दोनों व्रत से भगावन शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। आइये जानते हैं भौम प्रदोष क्या है
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भौम प्रदोष व्रत उस तिथि पर पड़ता है जब मंगलवार को त्रयोदशी पड़ती है। यह व्रत भगवान शिव के साथ-साथ मंगल ग्रह की शांति के लिए भी अत्यंत फलदायक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से कर्ज, भूमि विवाद, शत्रु बाधा और रक्त से जुड़ी बीमारियों से राहत मिलती है।
शिव पुराण के अनुसार, यदि किसी की कोई इच्छा पूरी नहीं हो रही है, तो उन्हें इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए। इस व्रत के माध्यम से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जीवन की तमाम समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
वहीं, जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि तक चलता है। यह व्रत मुख्य रूप से गुजरात और पश्चिम भारत में मनाया जाता है, जिसे अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था।
मान्यता है कि इस दिन बालू या रेत का हाथी बनाकर उस पर पांच तरह के फल, फूल और प्रसाद अर्पित करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और मन चाहे वर का आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत गणगौर, हरतालिका तीज और मंगला गौरी व्रत के समान ही किया जाता है।
1.इस दिन व्रत करने के लिए आप सुबह उठकर स्नान करें, इसके बाद साफ या नए कपड़े पहनें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करना चाहिए।
2.एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। चौकी पर मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति की स्थापना करें और उन पर कुमकुम, बेलपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल आदि चढ़ाकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
3. इसके साथ ही मौसमी फल और नारियल चढ़ाना चाहिए। विधि-विधान से पूजा करने के बाद जया पार्वती व्रत की कथा पढ़नी चाहिए और फिर आरती करनी चाहिए।
4. बालू या रेत के हाथी का के सामने रात में जागरण करने के बाद सुबह उसे किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए।
सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे और चंद्र देव वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। दृक पंचांग के अनुसार, 7 जुलाई की रात 11 बजकर 10 मिनट से त्रयोदशी तिथि लग जाएगी, जो 9 जुलाई की रात 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 23 मिनट से 09 बजकर 24 मिनट तक है।
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