Navratri Puja Magh 2025: शक्ति उपासना का पर्व माघ नवरात्रि 2025 की कलश स्थापना 2 शुभ योग में की जाएगी। जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास से जानिए सरल महाविद्या पूजा विधि (navratra saral puja vidhi)
Magh 2025 Kalash Sthapana: डॉ. अनीष व्यास के अनुसार साल में चार बार शक्ति उपासना का पर्व नवरात्रि सेलिब्रेट किया जाता है। इसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि (प्रकट नवरात्रि) के अलावा दो गुप्त नवरात्रि (माघ और आषाढ़) पड़ती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के अलावा मां भगवती दुर्गा के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
जयपुर जोधपुर के ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार नए साल की पहली गुप्त नवरात्रि हिंदी पंचांग के माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है और दसवें दिन महाविद्या की पूजा के साथ पूर्णाहुति की जाती है।
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस साल माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 30 जनवरी 2025 से हो रही है। वहीं इसका समापन शुक्रवार 7 फरवरी को होगा। इस समय मां दुर्गा की महाविद्या की उपासक गुप्त तरीके से शक्ति साधना करेंगे और तंत्र सिद्धि के आयोजन करेंगे। गुप्त नवरात्रि को गुप्त साधना और विद्याओं की सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। देवी भागवत पुराण में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है।
माघ शुक्ल प्रतिपदा का आरंभः 29 जनवरी 2025 को शाम 6:05 बजे से
प्रतिपदा का समापनः 30 जनवरी को शाम 4:01 बजे
उदया तिथि में माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभः 30 जनवरी 2025 को
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 30 जनवरी से माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र के साथ व्यतीपात योग बन रहा है, जो पूजा पाठ के लिए बेहद शुभ है।
पहला मुहूर्तः प्रातः 9:25 से 10:46 बजे तक
घटस्थापना के लिए कुल समयः 1 घंटे 21 मिनट
अभिजित मुहूर्तः दोपहर 12:13 से 12:56 बजे तक
घटस्थापना के लिए कुल समयः 43 मिनट
इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र के साथ व्यतीपात योग भी बन रहा है, जो पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
कुण्डली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां भगवती की पूजा जहां माता के ममतामयी स्वरूप में की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा शक्ति रूप में की जाती है।
मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी साधना किसी को बता कर नहीं की जाती है। इसलिए इन दिनों को नाम ही गुप्त दिया गया है। गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक गुप्त अनुष्ठान किए जाते हैं। इन दिनों देवी दुर्गा के दस महाविद्या की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि इन नवरात्रि में साधना से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित फल प्रदान करती हैं, जितनी अधिक गोपनीयता इस साधना की जाएगी, उसका फल भी उतनी ही जल्दी मिलेगा।
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गुप्त नवरात्रि में देवी के मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, भुनेश्वरी देवी, मां धूम्रावती, बगलामुखी माता, मातंगी माता और देवी कमला स्वरूप की गुप्त आराधना की जाती है।
नवरात्रि में मंत्र जाप, श्री दुर्गा सप्तशती, हवन के द्वारा इन दिनों देवी साधना की जाती है। यदि आप हवन आदि कर्मकांड करने में असहज हों तो नौ दिन का किसी भी तरह का संकल्प जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप कर अनुष्ठान कर सकते हैं। या फिर राम रक्षा स्त्रोत, देवी भागवत आदि का नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ कर सकते हैं। अखंड जोत जलाकर साधना करने से माता प्रसन्न होती हैं।
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि।
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डॉ. अनीष व्यास के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है।
इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता है। मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है। सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए।