Skand Mata Ki Puja Vidhi: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा की पांचवीं शक्ति मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस स्वरूप में भगवान स्कंद बालरूप में मां की गोद में रहते हैं। खास बात यह है कि नवरात्रि 2024 की पूजा में इस स्वरूप की पूजा अर्चना पांचवें नहीं छठे दिन हो रही है। आइये जानते हैं किस मंत्र से करें मां स्कंदमाता की पूजा और पूरी पूजा विधि क्या है ...
Skand Mata Ki Puja: ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के मुताबिक शारदीय नवरात्रि 2024 में तृतीया तिथि की वृद्धि थी, इसलिए मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिन की गई। इसी कारण मां स्कंदमाता की पूजा पांचवें की जगह छठें दिन की जा रही है। आइये जानते हैं मां स्कंदमाता की पूजा विधि …
1. सबसे पहले गंगा जल या गोमूत्र से पूजा स्थल का शुद्धिकरण करें।
2. एक चौकी पर मां स्कंदमाता की प्रतिमा रखें, चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें या पहले से कलश स्थापित किए हुए हैं तो वहीं पहले कलश की पूजा कर फिर मां की तस्वीर रखकर पूजा शुरू करें।
3. वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
4. इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
5. माता के मंत्र जपें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, आरती गाएं।
6. इस दिन माता को केले का भोग जरूर लगाएं, इसके बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। इस प्रसाद को ब्राह्मण को देने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। इससे चाणक्य जैसे बुद्धिमान बन सकते हैं।
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मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। सिंहवाहिनी माता की पूजा में नीचे लिखे हुए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
1. सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
2. ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥
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पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कंद माता हैं। जिन व्यक्तियों को संतानाभाव हो, उन्हें माता की पूजन-अर्चना कर नीचे लिखे मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होकर मुराद पूरी कर देती हैं।
'ॐ स्कंदमात्रै नम:।।'
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।