
शहीदी कूए की फाइल फोटो
(अमृतसर): ''शहीदों की चिताओं पर लगेगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का बस यही इक निशां होगा, शायद यही सब्द बचे है वतन पर फना होने वाले शहीदों के लिए! आज के समय में उनकी यादों को तो आधुनिक्ता की बली चढ़ाया जा रहा है।
हम बात कर रहे है जलियावाला बाग की, 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार में अंग्रेजी हुकूमत की गोलियों से बचने के लिए सैंकडों लोगों ने जलियांवाला बाग में बने कुएं में छलांग लगाई थी।
जलियांवाला बाग का जीर्णोद्धार कर रही कंपनी ने आज उस शहीदी कुएं को जमींदोज कर दिया। इसे नया रूप देने के नाम पर इस पर बना पुराना ढांचा पूरी तरह से धवस्त कर दिया गया। जब यहां काम कर रहे कंपनी के अधिकारी से इस बारे में बात करनी चाही तो उसने यह कह कर पल्ला झाड़ दिया की मैं इस बारे में कुछ नहीं बता सक्ता। हमने जब उससे पूछा की इस से की इस कुए से लोगो की आस्था जुड़ी है तो उसने कहा, हमें क्या हमें तो काम मिला है वह हमें करना है।
Published on:
28 Jun 2019 09:51 pm
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