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सुच्चा सिंह लंगाह सिख पंथ से निष्काषित

पंजाब के पूर्व मंत्री एवं एसजीपीसी के निवर्तमान सदस्य सुच्चा सिंह लंगाह को सिख पंथ से निषकाषित करने का हुक्मनामा जारी कर दिया है

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Former Akali Minister Sucha Singh Langah

चंडीगढ़। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने करीब पांच घंटे तक चली बैठक के बाद पंजाब के पूर्व मंत्री एवं एसजीपीसी के निवर्तमान सदस्य सुच्चा सिंह लंगाह को सिख पंथ से निषकाषित करने का हुक्मनामा जारी कर दिया है। हाल के वर्षों में किसी भी धार्मिक व सियासी प्रतिनिधि के विरूद्ध अकाल तख्त साहिब द्वारा की गई यह बड़ी कार्रवाई है।


सुच्चा सिंह लंगाह इस समय पुलिस रिमांड पर हैं। सुच्चा सिंह लंगाह पूर्व बादल सरकार में लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में वह सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य थे। पिछले सप्ताह पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की महिला कर्मचारी ने सुच्चा सिंह लंगाह के विरूद्ध बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। गुरदासपुर पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने के बावजूद लंगाह गिरफ्तार नहीं हुए तो अदालत ने उनका लुक आउट नोटिस जारी कर दिया। इस बीच लंगाह ने शिरोमणि अकाली दल तथा एसजीपीसी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जिसे सुखबीर बादल तथा एसजीपीसी अध्यक्ष ने तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया।


इस बीच आज सुबह अकाल तख्त साहिब पर जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, तख्त श्री हजूर साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलवंत सिंह के प्रतिनिधि ने भाग लिया।


इससे पहले पांचों सिंह साहिबानों ने शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की सलाहकार समीति के साथ भी मंथन किया। सूत्रों की मानें तो बैठक में आज लिए जाने वाले फैसले के संबंध में अकाली दल सुप्रीमों प्रकाश सिंह बादल तथा अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की परोक्ष रूप से पहले ही सहमति ले ली गई थी।

अकाल तख्त साहिब से आज हुए फैसले पर समूचे विश्व में बसे सिखों की नजर लगी हुई थी। लंबी बैठक के बाद अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने अकाल तख्त की प्राचरी से हुक्मनामा जारी करते हुए सुच्चा सिंह लंगाह को सिख पंथ से बाहर करने का ऐलान किया। जिस समय अकाल तख्त जत्थेदार ने यह हुक्मनामा जारी किया उस समय लंगाह की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि या परिवार का सदस्य मौजूद नहीं था। इसके बावजूद अकाल तख्त से जारी होने वाले हुक्मनामे को सुनने के लिए भारी संख्या में सिख संगत यहां मौजूद थी।